बिल्ली मौसी चलीं बनारस – सूर्य कुमार पांडेय

बिल्ली मौसी चलीं बनारस
लेकर झोला डंडा
गंगा तट पर मिला उसे तब
मोटा चूहा पंडा

चूहा बोला बिल्ली मौसी
चलो करा दूँ पूजा
मुझ सा पंडा यहाँ घाट पर
नहीं मिलेगा दूजा

बिल्ली बोली ओ पंडा जी
भूख लगी है भारी
पूजा नहीं, पेट पूजा की
करो तुरत तैयारी

समझा चूहा बिल्ली मौसी
का जो पंगा जी में
टीका–चंदन छोड़ घाट पर
कूदा गंगा जी में

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