मचा तहलका – उमा कांत मालवीय
बैठ पेड़ पर मछली सोचे
अब क्या होगा राम,
नज़ला हुआ मगर मामा को
मुझको हुआ जु.काम।
छाँय छाँय कर मेढक जी ने
छींका क्या दो बार,
पोखर भर में मचा तहलका
मेढक जी बीमार।
भागा पोखर से तब कछुआ
सिर पर रखकर पाँव,
लेकिन देखा छाँय–छाँय कर
छींके सारा गाँव।