Bhojan Mantra | Om Sah Naavavatu | भोजन मन्त्र | : ॐ सह नाववतु । भोजन मंत्र हिंदी में अर्थ Meaning of Bhojan Mantra in Hindi

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प्रथम भोजन मंत्र (Anna Grihana Karne Se Pehle) :-

अन्न ग्रहण करने से पहले विचार मन में करना है
किस हेतु से इस शरीर का रक्षण पोषण करना है
हे परमेश्वर एक प्रार्थना नित्य तुम्हारे चरणो में
लग जाये तन मन धन मेरा विश्व धर्म की सेवा में

Bhojan Mantra

Anna Grihana Karne Se Pehle Vichar Man Me karna hai
Kis Hetu Se Iss Sharir ka Rakshan Poshan Karna hai
Hai Parmeshvara Ek Prarthana Nitya Tumhare charno me
Lag Jaye Tan Man Dhan Mera Vishva Dharma Ki Seva main…

द्वितीय भोजन मंत्र (Brahmarpranam Brahma havir) :-

ॐ ब्रह्मार्पणं ब्रह्मा हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणाहुतं
ब्रह्मैव तेना गन्तव्यंब्रह्म कर्म समाधिना

Brahmarpranam Brahma havir Brahmagnau Brahmana hutam
Brahmaiva tena gantavyam Brahma karma samaadhinaa

विशेष:- अनेक स्थानों पर इस मंत्र का उच्चारण ॐ के बिना प्रारम्भ करते हैं।

तृतीय भोजन मंत्र (Om sahana vavatu saha nau bhunaktu) :-

ॐ सहनाववतुसहनौ भुनक्तु
सहवीर्यं करवावहै तेजस्विनावधीतमस्तुमा विद्विषा वहै
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः

Om sahana vavatu saha nau bhunaktu, saha veeryam karavaavahai
Tejasvinavadhitamastu ma vidvisha vahai
Om shantih, shantih shantih

आर्य समाज भोजन मंत्र (Arya Samaj Bhojan Mantra) :-

आर्य समाज में भोजन से पूर्व जिस मंत्र का उच्चारण प्रार्थना के रूप में किया जाता हैं निम्न प्रकार हैं:-

ओ३म् अन्नपते अन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः।

प्र प्र दातारं तारिष ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ।।

आर्य समाज के भोजन मंत्र में आये शब्दों का शब्दार्थ:-

नः – हम/हमारे | अन्नपते – अन्न के स्वामी भगवन् ! | अनमीवस्य – कीट आदि रहित | शुष्मिणः – बलकारक (बल प्रदान करने वाला) | अन्नस्य – अन्न के भण्डार | देहि/धेहि – दीजिये | प्रदातारं – अन्न का खूब दान देने वाले को | प्रतारिष – दुःखो से दूर कीजिए | द्विपदे चतुष्पदे – दोपायो और चौपायो को | ऊर्जं – बल

आर्य समाज के भोजन मंत्र का भावार्थ:-

हे अन्न के स्वामी प्रभो (भगवान्)! हमारे लिए बल, बुद्धि, तेज, एवं ओज प्रदान करने वाले रोग रहित अन्न (भोजन) प्रदान करें। हे स्वामी! हमें आत्मिक शक्ति प्रदान करने वाला अन्न दिजिए जिससे जीवन आरोग्यवान् हो एवं हम सुखपूर्वक जी सकें।

संघ के कार्यक्रमों व शिविरों में भोजन से पूर्व सन् 2005 से पहले पुराना भोजन मंत्र बोला जाता था जो की बहुत लम्बा था जिसके बोल निम्न प्रकार हैं:-

ॐ यन्तु नदयो वर्षन्तु पर्जन्याः।
सुपिप्पला ओषधयो भवन्तु।
अन्नवताम् मोदनवताम् माक्ष्यिवताम्।
एषाम् राजा भूयासम्।
ओदनमुद्रब्रुवते।
परमेष्ठी वा एषः यदोदनः।
परमामेवैनं श्रियं गमयति।

Om Yantu Nadayo Varshantu Parjanyaah, Supippala Oshdhayo Bhavantu,
Annavatam Odanavataam Amikshyavatam, Esham Raja Bhuuyasam
Odanmudbruvate. Parameshtii Vaa Eshah Yadodanah.
Paramaamevainam Shriyam Gamyati.

मा भ्राता भ्रातरन् द्विक्षन्।
मा स्वसार मुतस्वसा।
संयंच सव्रता भूत्वा।
वाचं वदत भद्रया।

Maa Bhrata Bhrataran Dwikshan, Maa Swasaaramutaswasa,
Samyancha Savrata Bhuutvaa, Vaacham Vadat Bhadrayaa

उपरोक्त के पश्चात् क्रमशः ॐ ब्रह्मार्पणं ब्रह्मा… तथा ॐ सहनाववतुसहनौ भुनक्तु… वाले मंत्रों का उच्चारण सन् 2005 से पहले भोजन मंत्र के रूप में संघ में किया जाता था। वर्तमान RSS Bhojan Mantra ब्रह्मार्पणं ब्रह्मा हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणाहुतं से प्रारम्भ होता है।

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