Chal Tu Apani Raah Pathik Chal || चल तू अपनी राह पथिक चल
चल तू अपनी राह पथिक चल
होने दे होता है जो कुछ
उस होने ना होने से क्या
तुझको तुझको तुझको
विजय पराजय से क्या ||धृ||
मेघ उमड़ते हैं – अम्बर में
भँवर उठ रहे है – सागर में
आँधी और तूफान डगर में
तुझको तो केवल चलाना है
चलाना ही है तो फिर डर क्या
तुझको तुझको तुझको
विजय पराजय से क्या ||१||
अरे थक गया क्यूँ – बढ़ता चल
उठ संघर्षोंसे – लड़ता चल
जीवन विषम पंथ चलता चल
खड़ा हिमालय हो यदि आगे
चढु या लौटू यह संशय क्यों
तुझको तुझको तुझको
विजय पराजय से क्या ||२||
—
Anonymous | Aug 1 2012 – 21:39
चल तू अपनी राह पथिक चल
होने दे होता है जो कुछ
उस होने ना होने से क्या
तुझको तुझको तुझको
विजय पराजय से क्या ||धृ||
मेघ उमड़ते हैं – अम्बर में
भँवर उठ रहे है – सागर में
आँधी और तूफान डगर में
तुझको तो केवल चलाना है
चलाना ही है तो फिर डर क्या
तुझको तुझको तुझको
विजय पराजय से क्या ||१||