हनुमान अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता कैसे हैं जानिये ? Know how Hanuman is the giver of Ashta Siddhi Navnidhi?

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जैसा कि हम सभी जानते हैं पवनसुत, केसरीनंदन, आंजनेय, बजरंगबली Lord Hanuman के अनेकों नाम हैं. उसी प्रकार उनके पास अद्भूत शक्तियां भी हैं, जिन्हें अष्टसिद्धी और नवनिधि कहा जाता है. आइये जानते हैं Lord Hanuman की अष्टसिद्धियों के बारे में.

अणिमा:-

यह एक ऐसी शक्ति है जिससे शरीर को अति सूक्ष्म रूप दिया जा सकता है. हनुमान ने अणिमा शक्ति के सहारे एक मक्खी के रूप में आकर लंका का निरिक्षण किया था.

महिमा – 

इस सिद्धी से देह को पर्वत की तरह विशाल किया जा सकता है. हनुमान ने माता सीता को विश्वास दिलाने के लिए कि वे रामदूत हनुमान हैं, अपने शरीर का विस्तार सौ योजन तक कर लिया था.

गरिमा – 

इस सिद्धी से शरीर को पर्वत के सामान भारी किया जा सकता है. रावण के साथ युद्ध के पश्चात हनुमान ने इसी शक्ति से द्वापर काल में भीम का गर्वाहरण किया था. 

लगिमा – 

इस सिद्धी से शरीर को भार शुन्य किया जा सकता है. हनुमान ने इसी सिद्धी के सहारे अपने शरीर को हल्का कर अशोक वाटिका के वृक्ष में जाकर छिपे रहे जहाँ से उन्होंने माता सीता का पता लगाया .

प्राप्ति –

इस सिद्धी के बल पर किसी भी प्राणी की भाषा को जाना जा सकता है. इसके अलावे आने वाले समय को भी देखा जा सकता है. माता सीता की खोज में हनुमान ने हर प्राणी और पेड़ -पौधों से पूछ-ताछ की थी.

प्रकाम्य-

इस सिद्धी के बल पर पञ्च तत्वों यानि  आग , हवा , पानी , धरती , आकाश  के भीतर सरलता से रहा जा सकता है .

ईशित्व-

इस शक्ति से मृत प्राणी को भी जीवित किया जा सकता है .इसी शक्ति से हनुमान ने वानर सेना का नेतृव किया था.

वसित्व – 

इस सिद्धी से सभी इन्द्रियों पर विजयी प्राप्त किया जा सकता है . हनुमान को इसी कारण जितेन्द्रिय भी कहते हैं.

उसी प्रकार नवनिधि यश और समृद्धि से जुडी है जो इस प्रकार हैं

पद्मनिधि , महापद्म निधि, नील निधि , मुकुंद निधि, नन्द निधि, मकर निधि, कश्चप निधि , शंखनिधि , वराह या मिश्रनिधि.

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