Navratri 6th Day Maa Katyayani Mata || नवरात्री का छठा दिन माँ कात्यायनी माता ||

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शारदीय नवरात्रि के छठे दिन (Navratri 6th Day) माता के स्वरुप “कात्यायिनी माता” की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि मां के इस स्वरुप की पूजा करने से विवाह में आ रहीं रुकावटें दूर होती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरुप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है।

भोग | Navratri 6th Day

Navratri 6th Day को प्रसाद में मधु यानी शहद का प्रयोग करना चाहिए।

|| मंत्र ||

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

कात्यायिनी माता की पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें ।
  • इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें ।
  • देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें ।
  • इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं ।
  • फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें ।
  • देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं ।
  • इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें ।

कात्यायिनी माता की कथा

कत नामक एक प्रसिद्द महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्द महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ काल पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत अधिक बढ़ गया था । तब भगवान ब्रह्मा,विष्णु,महेश तीनों ने अपने-अपने तेज़ का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को प्रकट किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की और देवी इनकी पुत्री कात्यायनी कहलाईं।

माँ कात्यायनी माता की आरती || Maa Katyayni Mata Ki Aarti

जय कात्यायिनी माता,
जय कात्यायिनी माता ।
सुख सृष्टि में पाये ,
जो तुमको ध्याता ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

आदि अनादि अनामय ,
अविचल अविनाशी ।
अटल अनत अगोचर ,
अध् आनंद राशि ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

लाल ध्वजा नभ चमक ,
मंदिर पे तेरे ।
जग मग ज्योति माँ जगती ,
भक्त रहे घेरे ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

हे सतचित सुखदायी ,
शुद्ध ब्रह्म रूपा ।
सत्य सनातन सुन्दर ,
शक्ति यश रूपा ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

नवरात्री का छठा है ,
ये कात्यायिनी रूप ।
कलयुग में शक्ति बनी ,
दुर्गा मोक्ष स्वरूप ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

कात्यायन ऋषि पे किया ,
माँ ऐसा उपकार ।
पुत्री बनके आ गयी ,
शक्ति अनोखी धर ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

देव की रक्षा माँ करे ,
लिया तभी अवतार ।
ब्रज मंडल में हो रही ,
आपकी जय जयकार ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

श्री दुर्गा चालीसा लिरिक्स

श्री कृष्णा ने भी किया ,
अम्बे आपका जाप ।
दया दृष्टि हम पर करो ,
बारम्बार प्रणाम ।।

जय कात्यायिनी माता ।।

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