परशुराम की प्रतीक्षा – रामधारी सिंह दिनकर
परशुराम की प्रतीक्षा (शक्ति और कर्तव्य) वीरता जहां पर नहीं‚ पुण्य का क्षय है‚ वीरता जहां पर नहीं‚ स्वार्थ की...
परशुराम की प्रतीक्षा (शक्ति और कर्तव्य) वीरता जहां पर नहीं‚ पुण्य का क्षय है‚ वीरता जहां पर नहीं‚ स्वार्थ की...
यह लघु सरिता का बहता जल‚ कितना शीतल‚ कितना निर्मल। हिमगिरि के हिम निकल–निकल‚ यह विमल दूध–सा हिम का जल‚...
माम को मैं तंग करूँ या डैड से ही जंग करूँ मैं दिन रहे सोता रहूँ फिर रात भर रोता...
आंधी आई जोर-शोर से डाली टूटी है झकोर से उड़ा घोंसला बेचारी का किससे अपनी बात कहेगी अब यह चिड़िया...
“माँ कह एक कहानी।” बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी? “कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी...
मौसम आज पतंगों का है, नभ में राज पतंगों का है। इन्द्रधनुष के रंगों का है, मौसम नई उमंगों का...
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं। धूमधाम...
उठो लाल अब आँखें खोलो, पानी लायी हूँ मुंह धो लो। बीती रात कमल दल फूले, उसके ऊपर भँवरे झूले।...
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है। सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥ नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।...
मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ मॉं तुम्हारा...
गर्मी आई लाने आम घर से निकले बुद्धूराम नहीं लिया हाथों में छाता गर्म हो गया उनका माथा दौड़े दौड़े...
एक बीज था गया बहुत ही गहराई में बोया। उसी बीज के अंतर में था नन्हा पाौधा सोया। उस पौधे...