Shri Ganesh Suprabhatam Lyrics || श्री गणेश सुप्रभातम लिरिक्स
उठो जगो गणपति गजमुख अब
मंगल शुभ प्रभात आया।
मंगल करण भरण जन जन सुख,
सूर्य उदित नभ पर छाया।
श्री ऋषकेतू उमानन्दन,
श्री ओंकार के रूप प्रभो,
कमलनयन खोलो देखो खिल,
गए कमल सर्वत्र विभोर।
जय जय सुर गिरिजा के नंदन,
दुःख भंजन जय असुरारी,
जय जय जय सुर मुनि मन रंजन,
उमापुत्र सुत त्रिपुरारी,
भीड़ लगी है सौद द्वार पर,
वहीं भक्त करते वंदन।
कमलनयन सुख सदन,दयानिधि,
कृपा करो गिरिजा नंदन
चंद्र वदन गजवदन मनोहर,
दीन दुखी पर कृपा करो।
विघ्नकरण सब विघ्न विनाशक,
भक्तों के सब पाप हरो
सुप्रभात की बेला आयी,
मंगल सुप्रकाश फैला।
खिले कमल मूंद गई कुमुदनी,
गया अंधकार मैला।
सप्तर्षि वंदन करके अब,
लौट गये आनंद मगन।
उठो हे रम्भ सुख सदन दयानिधि,
उमालाल सम्पूर्ण गगन,
फैला शुभ आलोक चतुर्विक,
पवन बहे अति सुखदाई।
दिव्यगंध से सुरभित तन मन,
अरुण किरण अति मुद दाई
नारदादि ऋषिमुनि जन सारे,
सुन्दर स्तुति गान करे।
शुभ प्रभात की शुभ बेला में,
भजन यजन सम्मान करे,
कहीं गूंजते स्वर वीणा के,
कहीं भेरी तुरहि श्रृंगी।
मधुर मुरली का स्वर सुन सुनकर,
गुन गुन करते हैं भृंगी,
मंद मंद वादन मृदंग का,
गूंज रहा घन गर्जन सा।
शीतल मंद सुगंध पवन से,
करते तरु नर तन जैसा,
घंटा शंख घड़ियाल मंजीरे,
शब्द करे अति सुखदायी।
पत्ते पत्ते फूल फूल पर अरुणिम,
ज्योति किरण छाई,
दया और करुणा के सागर,
श्री गणपति सब विघ्न हरो,
सबकी मनो कामना पूरन,
कर दो सबके पाप हरो।
श्री गणेश सुप्रभातम लिरिक्स Shri Ganesh Suprabhatam Lyrics
उठो जगो गणपति गजमुख अब
Utho Jago Ganpati Gajamukh Ab
मंगल शुभ प्रभात आया
Mangal Shubh Prabhat Aaya
मंगल करण भरण जन जन सुख सूर्य उदित नभ पर छाया
Mangal Karan Bharan Jan Jan Sukh Surya Udit Nabh Par Chhaya
श्री ऋषकेतू उमानन्दन श्री ओंकार के रूप प्रभो
Shri Rushketu Umanandan Shri Omkar Ke Roop Prabho
कमलनयन खोलो देखो खिल गए कमल सर्वत्र विभोर
Kamalnayan Kholo Dekho Khil Gaye Kamal Sarvtra Vibhor
जय जय जय सुर मुनि मन रंजन उमापुत्र सुत त्रिपुरारी
Jai Jai Jai Sur Muni Mann Ranjan Umaputra Sut Tripurari
भीड़ लगी है सौद द्वार पर वहीँ भक्त करते वंदन
Bheed Lagi Hai Saud Dwar Par Wahin Bhakt Karte Vandan
कमलनयन सुख सदन दयानिधि कृपा करो गिरिजा नंदन
Kamalnayan Sukh Sadan Dayanidhi Kripa Karo Girija Nandan
चंद्र वदन गजवदन मनोहर दीन दुखी पर कृपा करो
Chandra Vadan Gajavadan Manohar Deen Dukhi Par Kripa Karo
विघ्नकरण सब विघ्न विनाशक भक्तों के सब पाप हरो
Vighnkaran Sab Vighna Vinashak Bhakto Ke Sab Paap Haro
सुप्रभात की बेला आयी मंगल सुप्रकाश फैला
Suprabhat Ki Bela Aayi Mangal Suprakash Faila
खिले कमल मूंद गई कुमुदनी गया अंधकार मैला
Khile Kamal Mund Gayee Kumudni Gaya Andhkar Maila
सप्तर्षि वंदन करके अब लौट गये आनंद मगन
Saptrshi Vandan Karke Ab Laut Gaye Anand Magan
उठो हे रम्भ सुख सदन दयानिधि उमालाल सम्पूर्ण गगन
Utho He Rambh Sukh Sadan Dayanidhi Umalal Sampoorn Gagan
फैला शुभ आलोक चतुर्विक पवन बहे अति सुखदायी
Faila Shubh Aalok Chaturvik Pavan Bahe Ati Sukhdayi
दिव्यगंध से सुरभित तन मन अरुण किरण अति मुद दाई
Divyagandh Se Surbhit Tan Mann Arun Kiran Ati Mud Dayi
नारदादि ऋषिमुनि जन सारे सुन्दर स्तुति गान करे
Naradadi Rushimuni Jan Saare Sunder Stuti Gaan Kare
शुभ प्रभात की शुभ बेला में भजन यजन सम्मान करे
Shubh Prabhat Ki Shubh Bela Mein Bhajan Yajan Samman Kare
कहीं गूंजते स्वर वीणा के कहीं भेरी तुरहि श्रृंगी
Kahin Gunjte Swar Veena Ke Kahin Bheri Turahi Shringi
मधुर मुरली का स्वर सुन सुनकर गुन गुन करते हैं भृंगी
Madhur Murli Ka Swar Sun Sunkar Gun Gun Karte Hain Bhringi
मंद मंद वादन मृदंग का गूंज रहा घन गर्जन सा
Mand Mand Vaadan Mridang Ka Gunj Raha Ghan Garjan Sa
शीतल मंद सुगंध पवन से करते तरु नर तन जैसा
Shital Mand Sugandh Pavan Se Karte Taru Nar Tan Jaisa
घंटा शंख घड़ियाल मंजीरे शब्द करे अति सुखदायी
Ghanta Shankh Ghadiyal Manjire Shabd Kare Ati Sukhdayi
पत्ते पत्ते फूल फूल पर अरुणिम ज्योति किरण छाई
Patte Patte Phool Phool Par Arunim Jyoti Kiran Chhayee
दया और करुणा के सागर श्री गणपति सब विघ्न हरो
Daya Aur Karuna Ke Sagar Shri Ganpati Sab Vighn Haro
सबकी मनो कामना पूरन कर दो सबके पाप हरो
Sabki Mano Kaamana Puran Kar Do Sabke Paap Haro