श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Aathavan Adhyay
श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय की संज्ञा अक्षर ब्रह्मयोग है। उपनिषदों में अक्षर विद्या का विस्तार हुआ। गीता में उस अक्षरविद्या का...
श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय की संज्ञा अक्षर ब्रह्मयोग है। उपनिषदों में अक्षर विद्या का विस्तार हुआ। गीता में उस अक्षरविद्या का...
श्रीमद्भगवद्गीता नवम अध्याय को राजविद्याराजगुह्ययोग कहा गया है, अर्थात् यह अध्यात्म विद्या विद्याराज्ञी है और यह गुह्य ज्ञान सबमें श्रेष्ठ...
श्रीमद्भगवद्गीता दसवां अध्याय का नाम विभूतियोग है। इसका सार यह है कि लोक में जितने देवता हैं, सब एक ही...
श्रीमद्भगवद्गीता ग्यारहवाँ अध्याय का नाम विश्वरूपदर्शन योग है। इसमें अर्जुन ने भगवान का विश्वरूप देखा। विराट रूप का अर्थ है...
श्रीमद्भगवद्गीता बारहवाँ अध्याय का नाम भक्तियोग है। जब अर्जुन ने भगवान का विराट रूप देखा तो उसके मस्तक का विस्फोटन...
श्रीमद्भगवद्गीता तेरहवाँ अध्याय नाम क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग है। इस अध्याय में एक सीधा विषय क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का विचार है। यह शरीर...
श्रीमद्भगवद्गीता चौदहवाँ अध्याय का नाम गुणत्रय विभाग योग है। यह विषय समस्त वैदिक, दार्शनिक और पौराणिक तत्वचिंतन का निचोड़ है-सत्व,...
श्रीमद्भगवद्गीता पन्द्रहवाँ अध्याय का नाम पुरुषोत्तमयोग है। इसमें विश्व का अश्वत्थ के रूप में वर्णन किया गया है। यह अश्वत्थ...
श्रीमद्भगवद्गीता सोलहवाँ अध्याय में देवासुर संपत्ति का विभाग बताया गया है। आरंभ से ही ऋग्देव में सृष्टि की कल्पना दैवी...
श्रीमद्भगवद्गीता अठ्ठारहवाँ अध्याय की संज्ञा मोक्षसंन्यास योग है। इसमें गीता के समस्त उपदेशों का सार एवं उपसंहार है। यहाँ पुन:...
श्रीमद्भगवद्गीता प्रथमअध्याय का नाम अर्जुनविषादयोग है। वह गीता के उपदेश का विलक्षण नाटकीय रंगमंच प्रस्तुत करता है जिसमें श्रोता और...
श्रीमद्भगवद्गीता द्वितीय अध्याय का नाम सांख्ययोग है। इसमें जीवन की दो प्राचीन संमानित परंपराओं का तर्कों द्वारा वर्णन आया है।...