गर्मी और आम – राजीव कृष्ण सक्सेना
गर्मी आई
लाने आम
घर से निकले
बुद्धूराम
नहीं लिया हाथों में छाता
गर्म हो गया उनका माथा
दौड़े दौड़े घर को आए
पानी डाला खूब नहाए
फिर वो बोले
हे भगवान
कैसे लाऊं
अब मैं आम?
गर्मी आई
लाने आम
घर से निकले
बुद्धूराम
नहीं लिया हाथों में छाता
गर्म हो गया उनका माथा
दौड़े दौड़े घर को आए
पानी डाला खूब नहाए
फिर वो बोले
हे भगवान
कैसे लाऊं
अब मैं आम?