Amar Shahid Bhagat Singh By Virendra Sindhu In Hindi PDF Free Download || अमर शहीद भगत सिंह वीरेंद्र सिंधु द्वारा हिंदी में पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड

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दो शताब्दी पूर्व पश्चिम से कुछ अंग्रेज, व्यापारियों के रूप में, भारत आए और धोरे-धीरे उन्होंने तराजू छोड़कर तलवार थाम ली। उस तलवार ने हजारों-लाखों भारतवासियों का खून पीया और वे व्यापारी अतिथि इस देश के मालिक बन बैठे। हमारे देश के धर्म और संस्कृति पर उन्होंने वार किया। देश की तमाम पूंजी लूट ली और जनता को कंगाल बना दिया। राजनीतिक जोड़-तोड़ से देश के टुकड़े-टुकड़े कर डाले और जिस किसी ने भी इन सब अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई, उस पर कोड़े बरसाए गए, फांसी पर लटका दिया गया या फिर जीवन भर तिल-तिल गलने के लिए कालेपानी की गन्दी जेलों में डाल दिया गया।

कुछ ही वर्षों में भारत की संतप्त आत्मा में विद्रोह की आग सुलगने लगी। 1857 में अंग्रेजी शासन के अधीन सेना के भारतीय सिपाहियों ने कुछ कर दिखाने की ठानी। हिन्दू और मुसलमान इतिहास की नित्य बदलती प्रक्रियाओं के साथ घुलमिल गए थे। उनके बीच एक दीवार खड़ी करने का ही यह परिणाम था कि आग भभकने लगी। उन्नीसवीं सदी में भारतीय सिपाहियों को बंदूकों में इस्तेमाल करने के लिए जो कारतूस दिए जाते थे उनमें गाय और सूअर की चर्बी लगो होती थी। कारतूस को बंदूक में भरने से पूर्व उन्हें अपने दांतों से काटना पड़ता था। बात मामूली लगती है, पर समय को देखते हुएं बहुत बड़ी थी। सबसे बड़ी बात यह थी कि भारतीय सिपाहियों की आत्मा ने ही उन्हें झकझोरा- “आखिर हम एक विदेशी सरकार के लिए यह सब क्यों करें, क्यों सहें, क्यों अपनी प्रात्मा का हनन करें।”

 

Two centuries ago some Englishmen from the West came to India as merchants and slowly they dropped the scales and took up the sword. That sword drank the blood of thousands and millions of Indians and those merchant guests became the masters of this country. They attacked the religion and culture of our country. Looted all the capital of the country and made the people poor. The country was torn to pieces by political manipulation and whoever raised his voice against all these atrocities was flogged, hanged, or else spent the rest of his life in the dirty jails of Kalapani. been put in.

Within a few years, the fire of rebellion started burning in the troubled soul of India. In 1857, under British rule, the Indian soldiers of the army decided to do something. Hindus and Muslims were mixed with the ever-changing processes of history. It was the result of building a wall between them that the fire started burning. In the nineteenth century, the cartridges given to Indian soldiers to use in guns were made of cow and pig fat. He had to bite with his teeth before filling the cartridge into the gun. It sounds minor, but it was a big deal considering the time. The biggest thing was that the soul of the Indian soldiers shook them – “Why should we do all this for a foreign government, why suffer, why should we kill our souls.”

 

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