Aruna Roy Autobiography | अरुणा राय का जीवन परिचय : एक राजनैतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता
भारत में महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए इन्हीं महिलाओं में से कुछ आगे बढ़कर सामने आईं और अपनी आवाज बुलंद की। घर चलाने वाली महिलाओं को शिक्षा का मौका मिला तो वह टॉपर बनकर निकलीं। चूल्हा जलाने वाली महिलाओं के हाथों में तलवार दी तो वह योद्धा बनकर दुश्मनों के सामने खड़ी हो गईं। कपड़े बुनने वाली महिलाओं के हाथों में कलम दिया तो वह लेखिका बन समाज को आईना दिखाने का काम करने लगीं। हर क्षेत्र में महिलाओं की तरक्की हुई। महिलाओं के हालात बदले। कई सामाजिक कार्यकर्ता महिलाओं ने अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। देश की कई महिलाओं की स्थिति, गरीब और मजदूर किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कार्य किए। इन्हीं में एक महिला समाज सेविका हैं अरुणा राॅय। अरुणा राॅय ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए और कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त किए। चलिए जानते हैं कि अरुणा रॉय कौन हैं, उनकी उपलब्धि और सफलता के बारे में जानें।
अरुणा राय कौन हैं?
अरूणा राय एक राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में भी कार्यरत रह चुकी हैं। उन्हें देश के कई बड़े और सम्मानित पुरस्कार भी दिए जा चुके हैं। उन्होंने गरीबों, किसानों के लिए विशेष प्रयास किए और सूचना का अधिकार (Right To Information) को लागू कराने में विशेष योगदान दिया।
अरुणा राय जीवन परिचय
सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय का जन्म जून 1946 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। उन दिनों यह ब्रिटिश सरकार के मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। उनके पिता ईडी जयराम और माता हेमा तमिल ब्राह्मण परिवार से थे। जिस परिवार में अरुणा राय पली बढ़ी थीं, उसकी कई पीढ़ियां लोक सेवा से जुड़ी थीं। उन्होंने पारंपरिक परिवार की रूढ़िवादी मान्यताओं को खारिज किया।
अरुणा राय का आईएएस बनने का सफर
अरुणा बचपन से मेहनती और मेधावी रहीं। उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद प्रशासनिक सेवा में जाने का फैसला लिया और 1968 में आईएएस की परीक्षा पास कर ली। आईएएस बनने के बाद उन्हें देश के कई गांवों को देखने का मौका मिला, जहां कि बदहाली देख उन्हें एहसास हुआ कि वह देश के भ्रष्ट तंत्र के बीच रहकर कोई बदलाव नहीं ला पाएंगी। इसलिए उन्होंने आईएएस के पद पर सात साल का अनुभव लेने के बाद नौकरी छोड़ दी।
सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर अरुणा
आईएएस की नौकरी छोड़ने के बाद अरुणा ने राजस्थान में सोशल वर्क एंड रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। इस संस्था की स्थापना अरुणा के पति संजित बंकर ने की थी। 1983 में पति से अलगाव होने तक अरुणा ने इसी संस्था के साथ काम करने हुए गरीबों के लिए प्रयास किया। बाद में राजस्थान के ही एक गांव में आकर काम करने लगीं। अपने साथियों के साथ मिलकर उन्होंने मजदूर किसान शक्ति संगठन की स्थापना की। यह गैर राजनीतिक जन संगठन मजदूर और गांव के किसानों के लिए काम करती थी।
सूचना का अधिकार लागू करवाने में योगदान
1992 में राजस्थान की भंवरी देवी के बलात्कार मामले के बाद अरुणा राय ने बीस महिलाओं और मानव अधिकार संगठनों के समूह के साथ मिलकर जयपुर में बड़ा प्रदर्शन किया। वह गांव वालों के साथ रहकर ही उनकी समस्याओं के लिए काम करती थीं और लोगों को सवाल पूछने के लिए प्रेरित करती थीं। एक रैली के दौरान अरुणा राय ने राज्य सरकार को बाध्य किया कि वह विकास फंड रिकॉर्ड जनता के सामने रखें। उनकी पहल से राजस्थान समेत तीन अन्य राज्यों में सूचना का अधिकार कानून पास हो गया।
अरुणा राय के पुरस्कार
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय के योगदान के लिये उन्हें मैग्सेसे पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा अरुणा राय को मेवाड़ सेवाश्री समेत कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है।
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