कुलामृत स्तोत्र – Kulamrit Stotra
प्राचीन काल में देवर्षि नारद के पूछने पर वृषभध्वज शिव ने श्रीविष्णु के इस कुलामृत स्तोत्र का वर्णन किया था।...
प्राचीन काल में देवर्षि नारद के पूछने पर वृषभध्वज शिव ने श्रीविष्णु के इस कुलामृत स्तोत्र का वर्णन किया था।...
प्रह्लादकृत इस श्रीनृसिंह कवच का पाठ करने से सारे मनोरथ पूर्ण होता है और सभी रोग व बाधा दूर होकर...
जो मनुष्य इस नृसिंह स्तोत्र का जितेन्द्रिय होकर पाठ करता है, भगवान् श्रीनृसिंह निश्चित ही उसके दुःखसमूह को नष्ट कर...
भगवती गायत्री का यह दिव्य कवच सैकड़ों विघ्नों का विनाश करनेवाला, चौंसठ कलाओं तथा समस्त विद्याओं को देनेवाला और मोक्ष...
गायत्री मन्त्र के अक्षरों के क्रम से मनुष्य के शरीर के समस्त अंगों की रक्षा की प्रार्थना की गयी है।...
तन्त्र श्रृंखला में आगमतन्त्र से मायातन्त्र के पटल ७ में ग्रहण के समय में सब तीर्थों का जल सामान्य जल...
तन्त्र श्रृंखला में आगमतन्त्र से मायातन्त्र के पटल ८ में विश्वसारोक्त कुलपूजा विधान से जप आदि के द्वारा वाक्पतित्व लाभ...
तन्त्र श्रृंखला में आगमतन्त्र से मायातन्त्र के पटल ९ में शान्ति, पुष्टि आदि में कुण्डभेद से हवनविधान, कुण्ड की माप...
तन्त्र श्रृंखला में आगमतन्त्र से मायातन्त्र के पटल १० में विशिष्ट पुरश्चर्या विधान, मन्त्रसिद्धि निरूपण और योगसाधन तथा त्रिविध भाव...
मार्कण्डेयजी के द्वारा किये हुए मृत्युञ्जय स्तोत्र का जो भगवान् शङ्कर के समीप पाठ करेगा, उसे मृत्यु से भय नहीं होता है...
तन्त्र श्रृंखला में आगमतन्त्र से मायातन्त्र के पटल ११ में काली, दुर्गा और तारिणी आदि सब देवियाँ एक ही हैं,...
रुद्रयामल तंत्र पटल ३० में मूलाधार पद्म का विवेचन है। षट्चक्र भेदन के लिए भेदिनी मन्त्रोद्धार है और सभी योगिनी...