Chir puratan rashtr ka fir se || चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो

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चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

तेज लेकर सूर्य का पथ पर सदा बढ़ते रहें
शशि सुधा लेकर ह्रदय में ताप हम हरते रहें
ज्ञान लेकर शारदा का शक्ति शिव से हम बढ़े
नेह ममता मातु की गुण राम से पावन गढ़े
कर्ममय जीवन रचें हम विश्व का कल्याण हो॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

त्याग की लें प्रेरणा हम ऋषि दधीचि सुजान से
भक्ति नानक की लिये हम नीति कृष्ण महान से
भीष्म की भीषण प्रतिज्ञा आन वीर प्रताप की
शौर्य विक्रम का ह्रदय में धार करुणा बुध्द की
राष्ट्र जीवन के लिए अब ये अमर सोपान हों॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

पूर्वजों की जो धरोहर ले चलें अभिमान से
मूर्ति नूतन हम गढ़ें विज्ञान का नव मान ले
हर दिशा में प्रगति के चरण हम धरते चलें
श्रेष्ठ गीता ज्ञान का संदेश हम देते चलें
हिन्दु संस्कृति का जगत में आज फिर सम्मान हो॥

चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

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