YAH KAL KAL CHHAL CHHAL BAHATI | यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा ?
यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा ? युग-युग से बहता आता, यह पुण्य प्रवाह हमारा ॥धृ॥ हम इसके...
यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा ? युग-युग से बहता आता, यह पुण्य प्रवाह हमारा ॥धृ॥ हम इसके...
बढें निरंतर हो निर्भय, गूँजे भारत की जय-जय ।।धृ।। याद करें अपना गौरव याद करें अपना वैभव स्वर्णिम युग को...
एकता, स्वतंत्रता, समानता रहे। देश में चरित्र की महानता रहे, महानता रहे ॥धृ॥ कण्ठ हैं करोड़ों, गीत एक राष्ट्र का...