Month: March 2021

श्री परत्वादि पञ्चकम् – Sri Paratwadi Panchakam

वन्देऽहं वरदार्यं तं वत्साभिजनभूषणम्। भाष्यामृतप्रदानाद्यः सञ्जीवयति मामपि॥ परवासुदेवस्तुतिः उद्यद्भानुसहस्रभास्वरपरव्योमास्पदं निर्मल-, ज्ञानानन्दघनस्वरूपममलज्ञानादिभिष्षड्गुणै- । र्जुष्टं सूरिजनाधिपं धृतरथाङ्गाब्जं सुभूषोज्ज्वलं, श्रीभूसेव्यमनन्तभोगिनिलयं श्रीवासुदेवं भजे ॥१॥...

श्री वरदराज पञ्चकम् -Sri Varadaraja Panchakam

प्रत्यूषे वरदः प्रसन्नवदनः प्राप्ताभिमुख्यान्जनान् आबद्धाञ्जलिमस्तकानविरलान् आबालमानन्दयन्। मन्दोड्डायितचामरो मणिमयश्वेतातपत्रश्शनैः अन्तर्गोपुरमाविरास भगवानारूढपक्षीश्वरः ॥१॥ मुक्तातपत्रयुगलोभयचामरान्तः विद्योतमानविनयातनयाधिरूढम्। भक्ताभयप्रदकराम्बुजमंबुजाक्षं नित्यं नमामि वरदं रमणीयवेषम् ॥२॥ यद्वेदमौलिगणवेद्यमवेद्यमन्यैः...

धर्मशास्त्र पञ्चकम् -Dharma Sastha Panchakam

पादारविन्दभक्तलोकपालनैकलोलुपं सदारपार्श्वमात्मजादिमोदकं सुराधिपम् । उदारमादिनाथभूतनाथमद्भुतात्मवैभवं सदा रवीन्दुकुण्डलं नमामि भाग्यसम्भवम् ॥ १ ॥ कृपाकटाक्षवीक्षणं विभूतिवेत्रभूषणं सुपावनं सनातनादिसत्यधर्मपोषणम् । अपारशक्तियुक्तमात्मलक्षणं सुलक्षणं प्रभामनोहरं...

श्रीमद्भगवद्गीता सातवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Satavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता सातवाँ अध्याय की संज्ञा ज्ञानविज्ञान योग है। ये प्राचीन भारतीय दर्शन की दो परिभाषाएँ हैं। उनमें भी विज्ञान शब्द...

श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Aathavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय की संज्ञा अक्षर ब्रह्मयोग है। उपनिषदों में अक्षर विद्या का विस्तार हुआ। गीता में उस अक्षरविद्या का...

श्रीमद्भगवद्गीता नवम अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Navam Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता नवम अध्याय को राजविद्याराजगुह्ययोग कहा गया है, अर्थात् यह अध्यात्म विद्या विद्याराज्ञी है और यह गुह्य ज्ञान सबमें श्रेष्ठ...

श्रीमद्भगवद्गीता ग्यारहवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Gyarahavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता ग्यारहवाँ अध्याय का नाम विश्वरूपदर्शन योग है। इसमें अर्जुन ने भगवान का विश्वरूप देखा। विराट रूप का अर्थ है...