Month: July 2022

किरातार्जुनीयम् पञ्चम सर्ग || Kiratarjuniyam Pancham Sarga

किरातार्जुनीयम् पञ्चमः सर्ग- राजनीति और व्यवहार-नीति में भारवि के विशेष रुझान के चलते यह युक्तियुक्त ही था कि वे किरातार्जुनीयम्‌...

किरातार्जुनीयम् चतुर्थ सर्ग || Kiratarjuniyam Chaturtha Sarga

किरातार्जुनीयम् चतुर्थ सर्ग-किरातार्जुनीयम्‌ भारवि की एकमात्र उपलब्ध कृति है, जिसने एक सांगोपांग महाकाव्य का मार्ग प्रशस्त किया। माघ-जैसे कवियों ने...

किरातार्जुनीयम् द्वितीय सर्गः || Kiratarjuniyam Dvitiya Sarg

किरातार्जुनीयम् द्वितीय सर्ग - किरातार्जुनीयम्‌ के पहले सर्ग में द्रौपदी और दूसरे में भीम द्वारा युधिष्ठिर को दुर्योधन के विरुद्ध...

किरातार्जुनीयम् तृतीय सर्गः || Kiratarjuniyam Third Sarg

किरातार्जुनीयम् तृतीय सर्ग-भारवि अपने अर्थ-गौरव (गहन भाव-सम्पदा) के लिए जाने जाते हैं—‘उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम्‌’। इस अर्थ-गौरव से मेल खाती एक...

किरातार्जुनीयम् प्रथमः सर्गः || Kiratarjuniyam Pratham Sarg

किरातार्जुनीयम् प्रथमः सर्गः- किरातार्जुनीयम् (अर्थ : किरात और अर्जुन की कथा) महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई. में रचित महाकाव्य...