रोगघ्न उपनिषद् || Rogaghna Upanishad
रोगघ्न उपनिषद् अथवा रोगघ्नोपनिषत् या रोगघ्न उपनिषद या सौर सूक्त ऋग्वेद-संहिता – प्रथम मंडल सूक्त ५० ऋषि- प्रस्कण्व काण्व ।...
रोगघ्न उपनिषद् अथवा रोगघ्नोपनिषत् या रोगघ्न उपनिषद या सौर सूक्त ऋग्वेद-संहिता – प्रथम मंडल सूक्त ५० ऋषि- प्रस्कण्व काण्व ।...
श्रीमद्भागवत पुराण दशम स्कन्ध के ४७ वें अध्याय में श्लोक ११ से २१ तक में भ्रमरगीत प्रसंग है। श्रीकृष्ण गोपियों...
प्रणय मूलतः संस्कृत का शब्द है। जिसका अर्थ है- प्रेम या प्रीति या मिलन । अर्थात् की यह एक प्रेम...
श्रीमद भागवत पुराण में दशवें स्कंध के 35 वें अध्याय में गोपियों ने सुंदर युगल गीत गया है। जिसका वर्णन...
श्रीमद्भागवत में अनेक गीत है। वेणु गीत दशम स्कन्ध के २१ वें अध्याय में है। श्रीशुकदेव जी महाराज ने सुन्दर...
किरातार्जुनीयम् पञ्चमः सर्ग- राजनीति और व्यवहार-नीति में भारवि के विशेष रुझान के चलते यह युक्तियुक्त ही था कि वे किरातार्जुनीयम्...
किरातार्जुनीयम् सर्ग ६- छठे सर्ग का वर्ण्य विषय है : अर्जुन की आँखों से देखी इंद्रनील की अप्रतिम शोभा, वहाँ...
किरातार्जुनीयम् चतुर्थ सर्ग-किरातार्जुनीयम् भारवि की एकमात्र उपलब्ध कृति है, जिसने एक सांगोपांग महाकाव्य का मार्ग प्रशस्त किया। माघ-जैसे कवियों ने...
किरातार्जुनीयम् द्वितीय सर्ग - किरातार्जुनीयम् के पहले सर्ग में द्रौपदी और दूसरे में भीम द्वारा युधिष्ठिर को दुर्योधन के विरुद्ध...
किरातार्जुनीयम् तृतीय सर्ग-भारवि अपने अर्थ-गौरव (गहन भाव-सम्पदा) के लिए जाने जाते हैं—‘उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम्’। इस अर्थ-गौरव से मेल खाती एक...
किरातार्जुनीयम् प्रथमः सर्गः- किरातार्जुनीयम् (अर्थ : किरात और अर्जुन की कथा) महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई. में रचित महाकाव्य...
श्रीललितोपनिषत् या ललिता उपनिषद श्री ललिता देवी को समर्पित एक दिव्य उपनिषद है। इस उपनिषद में भी बहुत सुंदर और...