Devi Maa Shakumbhari Ka Dwaar Lyrics || देवी माँ शाकुम्भरी का द्वार लिरिक्स
आओ भक्तों तुम्हें मैया से मिलाऊँ
शाकुंभरी मां के दर्शन कराऊ
देवी मां शाकुंभरी की सदा ही जय
सुख देने वाला है सबसे निराला है
देवी मां शाकुंभरी का द्वार काज है
संवारता सब के बेड़े तारता देवी मां
शाकुंभरी का द्वार
देवी मां शाकुंभरी का द्वार
भक्तों देवी मां शाकुंभरी का द्वार
दुर्गम ने जब वेद थे पाये
ब्रह्मा के वरदान से
हो गए शक्तिहीन देवता
उड़ गया धर्म जहान से
बरसों तक जब हुई ना वर्षा
जग में हाहाकार मची
महादेवी की शरण मे जाके
सब देवो ने विनती की
दर्शन देकर महामाया ने
करुणा जग पर की बड़ी
मां के सुंदर सौ नैनों से
धारा जल की फूट पड़ी
सागर नदियाँ जल से भरकर
मां ने सिद्ध हर काम किया
देवताओं ने दयामयी मां का
नाम शताक्षी रख दिया
दिव्य अलौकिक काया से फिर
उत्पन्न मां ने शाक किये
फूलों- फलों और सब्जियों से
बाग और खेत भर दिए
जग की पालनहारी मां ने
ऐसा कौतुक जब किया
सबने मिलकर महादेवी का नाम
शाकुंभरी रख दिया
जय जय माँ जय जय माँ
कष्ट सारे तारता विश्व को
है पालता देवी मां
शाकुंभरी का द्वार
काज है संवारता
सब के बेड़े तारता
देवी मां शाकुंभरी का द्वार
कहते हैं यहां शीश गिरा था
महासती महारानी का
इसीलिए सिद्धपीठ बना ये
अंबा आदभवानी का
नीलकमल से नैनों वाली
ये शक्ति महामाया है
ज्योतिर्मय नील मणियों जैसी
अनुपम इसकी काया है
इस महाशक्ति का जो प्राणी
शुद्ध चित्त अर्चन करते हैं
अमृतमयी शाकों से वो
अपने घर को भरते हैं
इसके उपासक नहीं तड़पते
जग में भूख प्यास से
सुख-समृद्धि का वर लेते
श्रद्धा और विश्वास से
इस चौखट पर झुके हुओ पर
मां की दया बरसती है
जीवन की हर खुशी पर
बिन मांगे ही मिलती है
जग जननी की चरण धूल को
माथे जो लगा लेते
वो दुर्बल बलशाली बनकर
अपनी मंजिल पा लेते
जय जय माँ जय जय माँ
सुंदर प्यारा प्यारा है
तीन लोक से न्यारा है
आस्था का महादरबार
काज है संवारता
सबके बेडे़ तारता
देवी मां शाकुंभरी का द्वार