Divya Sadhna Rashtra Dev Ki || दिव्य साधना राष्ट्रदेव की सुगन्धित हृदय सुमन || वर्ग गीत आरएसएस। rss geet

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दिव्य साधना राष्ट्रदेव की , सुगन्धित हृदय सुमन।

ध्येय एक ही माँ भारत की , गूंजे जय – जय विश्व गगन।

शाखा रूपी नूतन मंदिर धन्य – धन्य अपना जीवन।

एकनिष्ठ हो ढाल रहा है , शुभ संस्कारित तन और मन।

स्नेहमयी अनुपम तप धरा ज्ञान , सुधा प् सभी मगन। । १

संघ गीत – मातृभूमि गान से गूंजता रहे गगन

कहाँ थे साधन कहाँ थी सुविधा , संकट में भी सदा बढे।

संकल्पित मन , कर्म , तपस्या से ही साधक शिखर चढ़े।

स्वाभिमान से विचरें जग में , देश सभी में अपमान। । २

डॉ हेडगेवार जी का अमृत वचन

नये – नये शुभ परिवर्तन को , अंतर्मन से स्वीकारें।

कैसी भी हो कठिन चुनौती , हिम्मत अपनी नहीं हारें।

हमने वह क्षमता पाई है , वैभव स्वयं करे वंदन। ।३

अटल अडिग है निश्चय अपना , ध्येय सुपथ ना छोड़ेंगे।

नवयुग के हम बने भगीरथ , गंगा भी मोड़ेंगे।

मंगलमय सुन्दर रचना हो रात दिवस बस यही लगन। ।

कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।

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