Jaat Itihas By Thakur Deshraj Jaghina Pdf In Hindi Free Download || जाट इतिहास द्वारा ठाकुर देशराज जघिना पीडीएफ हिंदी में मुफ्त डाउनलोड

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किसी भी समाज या जाति के विकास और अभ्युदय में इतिहास की स्थान सदा सब से ऊँचो रहा है। मानव जाति के सुदीर्घ जीवन में शायद ही कमी ऐसा अवसर आया हो जब इतिहास की आवश्यकता न रही हो । इस बात को यों भी कहा जा सकता है कि कोई भी जन-समाज बिना इतिहास के अपने अस्तित्व को सुरक्षित नहीं रख सकता है। जिस समाज का इतिहास नष्ट हो जाता है उसके पुनरुद्धार में बड़ी कठिनाइयाँ पेश आती हैं। क्योंकि मनुष्य का प्रकृति-जन्य स्वभाव अनुसरण करने का है। कुछ व्यक्ति समाज में ऐसे भी होते हैं कि एक नवीन मार्ग और आदर्श समाज के सामने अमल करने को पेश कर देते है। किन्तु समाज में ऐसे बहुत ही थोड़े आदमी होते हैं, और ऐसे उदाहरण हमें बहुत ही कम मिलते हैं जहाँ श्रादर्शवादियों ने भी प्राचीन इतिहास का सहारा न लिया हो। अभ्युत्थान के लिए इतिहास मार्ग-प्रदर्शक एवं नेता का काम देता है। नेता का मार्ग अस्पष्ट और संदिग्ध भी हो सकता है। किन्तु इतिहास का बताया हुआ मार्ग अनुभव में पाया हुआ होता है। इतिहास जिन सिद्धान्तों को सामने रखता है वे कसौटी पर उतरे हुए होते हैं।
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पुराने वैद्य और नवसिखुये वैद्य में जितना अन्तर होता है उतना ही इतिहास और नेता में समाज के कल्याण के मार्ग के लिए होता है। आज के युग में किसी देश और जाति को नेतो की जितनी आवश्यकता है वह किसी से छिपी हुई बात नहीं । फिर इतिहास की तो नेता से भी अधिक आवश्यकता है। . इस कथन से हमारा तात्पर्य इतिहास की उपयोगिता प्रदर्शित करने पर * का है, यह नहीं कि इतिहास नेता की भी कमी को दूर कर सकता है। . इतिहास में होता भी क्या है ? यही न कि भूत काल में अमुक समाज और देश को अमुक नेता ने अमुक मार्ग से उन्नत किया। . वह समाज या जाति अथवा देश कितना कृतन्न समझा जाना चाहिये जो अपने प्राचीन उद्धारकों और नेताथों तथा उनके सहायकों की स्मृति को जिसे कि इतिहास कहते हैं सुरक्षित न रक्खे। ऐसा समाज अपने पाप (कृतप्रवा) का फल भुगतता है और वह फल उसे अपमान के रूप में मिलता है। क्योंकि सदेष किसी का स्वरूप एकसा नहीं रहता है। प्रत्येक फाल में उसका वर्तमान रूप देख फर लोक समूह उसे सन्मान देता है। यदि यह सन्मान में रियायत चाहता है तो उसे पूर्वकाल का अपना विशेष सम्मानित होने का प्रमाण देना होता है। प्राचीन प्रमाण भी .. इतिहास और उसका स्वरूप ही होते हैं।

History has always held the highest place in the development and emergence of any society or caste. There has hardly been an occasion in the long life of mankind when history has not been needed. It can also be said that no people-society can preserve its existence without history. Great difficulties arise in the revival of a society whose history is destroyed. Because man’s nature-born nature is to follow. Some people are also such in the society that they present a new path and ideal to be implemented in front of the society. But there are very few such men in the society, and we find very few such examples where even the shradarsavadis have not resorted to ancient history. History gives the job of guide and leader for the resurrection. The leader’s path can also be vague and ambiguous. But the path told by history is found in experience. The principles that history puts forth are tested.
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The difference between an old doctor and a fresh doctor is as much for the path of the welfare of the society as in the history and leader. In today’s era, the need for leaders of any country and caste is not hidden from anyone. Then history is needed more than leaders. . By this statement, we mean * to show the usefulness of history, not that history can overcome the shortcomings of the leader as well. . What happens in history? Not only this, so much of society and country was advanced by such a leader in the past. . How grateful that society or caste or country should be considered, which does not preserve the memory of its ancient savior and leaders and their helpers, which is called history. Such a society bears the fruit of its sin (Kritaprava) and gets that fruit in the form of humiliation. Because nobody always has the same form. Seeing his present form in each fall, the folk group pays respect to him. If it wants a concession in honor, then it needs to He has to give proof of his special honor. Ancient evidence is also history and its nature.

 

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