Kahi parvat jhuke bhi hai || कही पर्वत झुके भी है कही दरिया रुकी भी है || RSS Geet Gangeet

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कही पर्वत झुके भी है , कही दरिया रुकी भी है।

नहीं झुकती जवानी है , नहीं रूकती रवानी है। । २

गुरु गोविन्द के बच्चे , उम्र में थे अभी कच्चे।

पर वे सिघ बच्चे , धर्म ईमान के सच्चे।

गरज कर बोल उठे वे यो , सिघ मुख खोलते थे ज्यों।

नहीं हम झुक नहीं सकते , नहीं हम रुक नहीं सकते।

हमे निज देश प्यारा है , पिता दशमेश प्यारा है।

हमे निज धर्म प्यारा है , श्री गरुग्रन्थ प्यारा है। ।

नहीं झुकती जवानी है , नहीं रूकती रवानी है।

जोरावार जोर से बोला , फ़तेह सिंघ शोर से बोला।

रखो ईटें भरो गारे , चिनो दीवार हत्यारे।

निकलती श्वांस बोलेगी , हमारी लाश बोलेगी।

यही दीवार बोलेगी , हज़ारों बार बोलेगी।

हमारे देश की जय हो , पिता दशमेश की जय हो।

हमारे धर्म की जय हो , श्री गुरुग्रंथ की जय हो। ।

नहीं झुकती जवानी है , नहीं रूकती रवानी है।

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