कुंडलिनी शक्ति – हिंदी || Kundalini Shakti In Hindi By Arun Kumar Sharma PDF Free Download
तंत्र का मूल स्रोत वेद है। ऋग्वेद के बागाम्भृणी सूक्त ( १०११२५ ) में जिस शक्ति का प्रतिपादन किया गया है, तंब उसी शक्ति की एकमात्र साधना है। ‘शक्य शक्तो’ धातु से ‘क्तिन्’ प्रत्यय करने पर ‘शक्ति’ शब्द सिद्ध होता है। कारण, वस्तु में जो कार्योत्पादनोपयोगी अपृथक्सिद्ध धर्म-विशेष है, उसी को शक्ति कहते हैं। कहने की आवश्यकता नहीं, अत्यन्त प्राचीन काल से भारत में साधना की दो धाराऐं प्रवाहित होती चली आ रही है। पहली है वैदिक धारा और दूसरी है तांत्रिक धारा । वैदिक धारा सर्वसाधारण के लिए साधना के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करती है, जब कि तांत्रिक धारा चुने हुए अधिकारियों के लिए गुप्त साधना का उपदेश देती हैं।
एक बाह्य है और दूसरी आभ्यन्तरिक परन्तु दोनों धाराएँ प्रत्येक काल और प्रत्येक अवस्था में साथ-साथ विद्यमान रही है। इसीलिए जिस काल में वैदिक यज्ञ-याग अपनी चरम सीमा पर थे उस समय भी तांत्रिक साधना-उपासना का वर्चस्व कम नहीं था। इसी प्रकार कालान्तर में जब ‘तंत्र’ का प्रचार प्रबल हुआ उस समय भी वैदिक कर्मकाण्ड विस्मृति के गर्भ में विलीन नहीं हुआ था। वैदिक और तांत्रिक साधना-उपासना की सम कालीनता का पूर्ण परिचय हमें उपनिषदों में प्राप्त होता है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि भारत में शक्तिसाधना उपासना उतनी ही प्राचीन है जितना भारत प्रागैतिहासिक सिन्धुघाटी सभ्यता काल ( लगभग २०० ई० पू० ) में इसके अनेक प्रमाण प्राप्त होते हैं।
The original source of Tantra is the Vedas. Tamb is the only spiritual practice of that power, which is described in the Rigveda’s Bagambrhini Sukta (101125). The word ‘Shakti’ is proved by suffixing ‘Ktin’ from the root ‘Shakya Shakti’. Because, in the object which is useful for producing undifferentiated religion, that is called power. Needless to say, two streams of spiritual practice have been flowing in India since time immemorial. The first is the Vedic stream and the second is the Tantric stream. The Vedic stream lays down the principles of spiritual practice for the general public, while the Tantric stream preaches secret practice for the elected officials.
One is external and the other internal, but both the currents have been present together in every time and every stage. That is why even at the time when Vedic Yagya-Yag was at its peak, the supremacy of Tantric Sadhana-worship was not less. Similarly, in the course of time, when the propagation of ‘Tantra’ became strong, even at that time the Vedic rituals did not dissolve in the womb of oblivion. We get a full introduction of the synchronicity of Vedic and Tantric sadhna-worship in the Upanishads. It would not be an exaggeration to say that the worship of Shaktisadhana in India is as ancient as India’s prehistoric Indus Valley Civilization period (about 200 BC) has many evidences of it……