Mere Rom Me Kanha Bhajan Lyrics | मेरे रोम में कान्हा भजन लिरिक्स

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मोहे हुक लगी दर्शन की,
दर्शन कैसे पाउगी ।
मेरे रोम रोम में कान्हा,
दर्शन कैसे पाउंगी ।।

मोहे हुक लगी दर्शन की ।
दर्शन कैसे पाउगी ।।

कान्हा बंसी मधुर बजावे,
मेरे मन का चैन चुरावे ।
सुध बुध खो के बैठी कान्हा,
दर्शन कैसे पाउगी ।।

मोहे हुक लगी दर्शन की ।
दर्शन कैसे पाउगी ।।

सांवली सूरत मन में समाये
मोहनी मूरत मन को भाये ।
कान्हा धुन में हुई मस्तानी,
दर्शन कैसे पाउगी ।।

मोहे हुक लगी दर्शन की ।
दर्शन कैसे पाउगी ।।

साबुन से मैं मल के नहाई,
मन का मैल मैं धो न पाई ।
मैंने जपी न मन की माला,
दर्शन कैसे पाउगी ।।

मोहे हुक लगी दर्शन की ।
दर्शन कैसे पाउगी ।।

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