मृदुभाषी बने और जीवन को सरल बनाएं Mradubhashi Bane Aur Jivan Ko Saral Banayen
मन का प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है
इस प्रभाव को यदि गहराई से देखना हो तो उसे बोलचाल की भाषा के साथ जुड़े हुए कंपनो के साथ देखकर समझा जा सकता है और बोलने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व को भी समझा जा सकता है
सद्भावना से संपन्न व्यक्ति किसी को उपदेश ना दें और साधारण शब्दों के चरण में भी जो मिठास घुला रहता है वह हृदय को स्पर्श करने वाला होता है और सुनने वाले व्यक्ति पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है
मधुर वाणी सुनने में सबको अच्छी लगती है और इसका प्रभाव सामने वाले व्यक्ति व समस्त जड़ चेतन पर भी पड़ता है और ठीक इसके विपरीत कर्कश वाणी सुनने वाले के लिए जहर के समान होती है वह तीर वाणी द्वारा जो छोड़ा जाता है
वह सामने वाले व्यक्ति को क्षत-विक्षत कर देता है और पता नहीं कितने लोगों को हानि पहुंचाता है और भविष्य मैं अपने लिए तरह तरह के संकट पैदा कर लेता है जिस प्रकार पानी में फेंका हुआ एक पत्थर हजारों लहरें उत्पन्न करता है ठीक इसी प्रकार कटु वाणी का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है कटु वाणी बोलने वाले व्यक्ति का तो अपने लिए हानि होती ही है
उग्र वाणी बोलने पर उसका शरीर उग्र हो जाता है और सारी मनोदशा को पलट कर रख देता है क्रोधी ईर्ष्यालु और निंदा करने वाले मनुष्य दूसरों को पानी के द्वारा चोट पहुंचाते हैं दुर्भावना से ग्रसित व्यक्ति को देर सवेर शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में रोग का शिकार होना पड़ता है
इस प्रकार के बाड़ी बोलने वाले के परिवारिक जीवन और छोटे बालों को पर भी उनका व्यापक प्रभाव पड़ता है जो जिससे आने वाली पीढ़ियां भी छत वी छत हो जाती है ज्ञानी लोग सभ्य समाज और सुंदर संस्कृति का प्रथम सोपान शिष्टता क्षमता और सद्भावना बाड़ी के उच्चारण से ही आरंभ मानते हैं
भगवान ने दो कान और एक जीभ इसलिए दी है कि हम सुने ज्यादा और बोले कम मधुर वाणी सुनने में सबको अति प्रिय होती है ठीक है इसके विपरीत कटु वचन सुनने में सब को कष्ट दाई होते हैं मृदुभाषी व्यक्ति का सम्मान बढ़ता जाता है और कटु वचन बोलने वाले का सम्मान गिरता जाता है
जीवन में मधुर वाणी का महत्त्व – Jivan Me Madhur Vani Ka Mahatv
इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति का हृदय मधुर वाणी से प्रसन्न होता है। व्यक्ति अपनी सद्भावना हो का प्रदर्शन अपने मधुर वचनों के द्वारा करता है। छोटे से बालक की मीठी मीठी बातें सुनकर मन को बड़ा सुकून मिलता है।इसीलिए कहते हैं कि मीठी वाणी औषधि के समान है और कड़वे वचन तीर के समान चुभते हैं।
वशीकरण एक मंत्र है तज दे बचन कठोर।
तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुं ओर।।
अर्थात मधुर वचन बोलने वाले सब को सुख शांति देते हैं और सभी ऐसे लोगों का साथ पसंद करते हैं इससे समाज में पारस्परिक सौहार्द की भावना का संचार होता है।किसी भी व्यक्ति को यदि वश में करना है तो व्यक्ति को मृदुभाषी होना चाहिए मधुर वाणी बोलना एक मंत्र के समान है। कठोर वचनों को त्याग दें मीठी वाणी बोले यही वशीकरण है ।इसी से सामने वाला व्यक्ति प्रभावित होता है और उस को शांति मिलती है।
संसार के सभी प्राणियों का मानवी कर्तव्य है कि दूसरे की भावनाओं का आदर करें। ऐसा करने से मनुष्य के मनुष्य से गहन गंभीर भाव परख व मधुर संबंध बनते हैं। हमें वैसा ही व्यवहार दूसरे के प्रति करना चाहिए जैसा हमें स्वयं के लिए पसंद है।