Nadi Darshan By Shree Taarashankar vaidh In Hindi PDF Free Download || नाड़ी दर्शन श्री ताराशंकर वैध द्वारा हिंदी में पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड

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योग के सन्दर्भ में नाड़ी वह मार्ग है जिससे होकर शरीर की ऊर्जा प्रवाहित होती है। योग में यह माना जाता है कि नाडियाँ शरीर में स्थित नाड़ीचक्रों को जोड़तीं है।

कई योग ग्रंथ १० नाड़ियों को प्रमुख मानते हैं। इनमें भी तीन का उल्लेख बार-बार मिलता है – ईड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। ये तीनों मेरुदण्ड से जुड़े हैं। इसके आलावे गांधारी – बाईं आँख से, हस्तिजिह्वा दाहिनी आँख से, पूषा दाहिने कान से, यशस्विनी बाँए कान से, अलंबुषा मुख से, कुहू जननांगों से तथा शंखिनी गुदा से जुड़ी होती है। अन्य उपनिषद १४-१९ मुख्य नाड़ियों का वर्णन करते हैं।

In the context of yoga, the Nadi is the path through which the energy of the body flows. In yoga, it is believed that the Nadis connect the Nadi chakras located in the body.

Many yoga texts consider 10 nadis to be the main ones. Three of these are mentioned repeatedly – Ida, Pingala, and Sushumna. All three are associated with the spine. Apart from this, Gandhari is associated with the left eye, Hastijihwa with the right eye, Pusha with the right ear, Yashaswini with the left ear, Alambusha with the mouth, Kuhu with the genitals, and Shankhini with the anus. Other Upanishads describe 14–19 main nadis.

 

 

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