Nadiyaa na piye kabhi-नदिया न पिये कभी
नदिया न पिये कभी अपना जल,
वृक्ष न खाए कभी अपना फल ×२
अपने तन को मन को धन को
धर्म को दे दे दान रे
वो सच्चा इन्सान रे, वो सच्चा इन्सान ×२चाहे मिले सोना चाँदी ×२
चाहे मिले रोटी बासी,
महल मिले बहु सुखकारी,
चाहे मिले कुटिया खाली
प्रेम और संतोष भाव से,
करता जो स्वीकार रे
वो सच्चा इन्सान रे, वो सच्चा इन्सान ×२चाहे करे निन्दा कोई ×२
चाहे कोई गुण गान करे,
फूलों से सतकार करे
काँटों की चिन्ता न धरे
मान और अपमान ही दोनो
जिसे के लिये समान रे
वो सच्चा इन्सान रे, वो सच्चा इन्सान
वृक्ष न खाए कभी अपना फल ×२
अपने तन को मन को धन को
धर्म को दे दे दान रे
वो सच्चा इन्सान रे, वो सच्चा इन्सान ×२चाहे मिले सोना चाँदी ×२
चाहे मिले रोटी बासी,
महल मिले बहु सुखकारी,
चाहे मिले कुटिया खाली
प्रेम और संतोष भाव से,
करता जो स्वीकार रे
वो सच्चा इन्सान रे, वो सच्चा इन्सान ×२चाहे करे निन्दा कोई ×२
चाहे कोई गुण गान करे,
फूलों से सतकार करे
काँटों की चिन्ता न धरे
मान और अपमान ही दोनो
जिसे के लिये समान रे
वो सच्चा इन्सान रे, वो सच्चा इन्सान
Nadiyaa na piye kabhi apnaa jal,
Vriksh na khaaye kabhi apnaa phal x2
Apne tan ko man ko dhan ko
Dharma ko dey dey daann rey
Woh sacchaa insaan rey, woh sacchaa insaan x2
Chaahay miley sonaa chaandee x2
Chaahay miley roti baasee
Mehal miley bahu sukhakaaree,
Chaahay miley kutiyaa khaalee
Prem aur santosh bhaav se,
Kartaa jo sveekaar rey
Woh sacchaa insaan rey, woh sacchaa insaan x2
Chaahay karey nindaa koi x2
Chaahay koi gund gaan karey,
Phulo se satakaar karey,
Kaanton kee chintaa na dharey
Maan aur apmaan hee donoo
Jise ke liye samaan rey,
Woh sacchaa insaan rey, woh sacchaa insaan