Navratri 2nd Day Maa Brahmacharini Mata || नवरात्री का दूसरा दिन माँ ब्रम्चारिणी माता
नवरात्री के दूसरे दिन (Navratri 2nd Day) माता के स्वरुप “ब्रम्चारिणी माता” की पूजा आराधना की जाती है।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ : ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण से है, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं।
भोग | Navratri 2nd Day Bhog
मां को चीनी, मिश्री और पंचामृत बेहद पसंद है। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिश्री से बनी चीजों का भोग चढ़ाया जाता है। आप मां को भोग में शक्कर (चीनी) से बनी चीजों का भोग लगाएं।
शक्कर से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं।
|| मंत्र ||
ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नम:
मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र :
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें ।
- इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें ।
- देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें ।
- इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं ।
- फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें ।
- देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं ।
- इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें ।
मां ब्रह्मचारिणी व्रत कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं। कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि आपके जैसा तक कोई नहीं कर सकता है। आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगा। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे।
मां ब्रह्मचारिणी आरती || Brahmacharini Mata Ki Aarti Lyrics
जय ब्रम्चारिणी माँ
मैया जय ब्रम्चारिणी माँ ।
अपने भक्त जानो पर
करती सदा दया ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
दर्शन अनुपम मधुरं
साधना रत रहती ।
शिव जी की आरधना
मैया सदा करती ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
बाहिने हाथ कमंडल
दाहिने में माला ।
रूप जो त्रिमय अद्भुत
सुख देने वाला ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
देवऋषि मुनि साधु
गुण माँ के गाते ।
शक्ति स्वरूपा मैया
सबकुछ तुझको ध्याते ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
संजम तब वैराग्य
प्राणी वो पाता ।
ब्रम्चारिणी माँ को
निशिदिन जो ध्याता ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
नवदुर्गाओं में मैया
दूजा तुम्हारा स्वरूप ।
स्वेत वस्त्र धारिणी माँ
ज्योतिर्मय तेरा रूप ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
दूजे नवरात्रे मैया
जो तेरा व्रत धरे ।
करके दया जगजननी
तू उसको तारे ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
शिव प्रिय शिवा ब्राह्मणी
हमपे दया करियो ।
बालक है तेरे ही
दया दृष्टि रखियो ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
शरण तिहारी आये
ब्रम्हाणी माता ।
करुणा हमपे दिखाओ
शुभ फल की दाता ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
माँ ब्रम्चारिणी की आरती
जो कोई गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावे ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ ।।
जय ब्रम्चारिणी माँ
मैया जय ब्रम्चारिणी माँ ।
अपने भक्त जानो पर
करती सदा दया ।।
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