परलोक और पुनर्जन्म एव वैराग्य – हिंदी || Parlok Aur Punarjanm Ev Vairagya In Hindi PDF Download
परलोक और पुनर्जन्मका सिद्धान्त हिन्दूधर्म की खास सम्पत्ति है। जैन और बौद्धमत भी एक प्रकारसे हिन्दूधर्म की ही शाखाएँ मानी जा सकती हैं; क्योंकि वे इस सिद्धान्तको मानते हैं। इसलिये वे हिन्दूधर्म के अन्तर्गत हैं। मुसलमान और ईसाईमत इस सिद्धान्तको नहीं मानते; परन्तु थियॉसफी सम्प्रदायके उद्योगों तथा प्रेतविद्या (Spiritualism) के चमत्कारोंने (जिसका इधर कुछ वर्षोंमें पाश्चात्य जगत्में काफी प्रचार हुआ है) इस ओर लोगोंका काफी ध्यान आकृष्ट किया है और अब तो हजारों-लाखों की संख्या में योरोप और अमेरिकाके लोग भी ईसाई होते हुए भी परलोकमें विश्वास करने लगे हैं।
हमारे भारतवर्षका तो बच्चा-बच्चा इस सिद्धान्तको मानता और उसपर अमल करता है। यही नहीं, यह सिद्धान्त हमारे जीवनके प्रत्येक अंगके साथ सम्बद्ध हो गया है; हमारा कोई धार्मिक कृत्य ऐसा नहीं है, जिसका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूपसे परलोकसे सम्बन्ध न हो और हमारा कोई धार्मिक ग्रन्थ ऐसा नहीं है, जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूपसे परलोक एवं पुनर्जन्मका समर्थन न करता हो ।
The doctrine of the afterlife and rebirth is a special asset of Hinduism. Jainism and Buddhism can also be considered as branches of Hinduism in a way; Because they believe in this principle. That’s why they are under Hinduism. Muslims and Christianity do not accept this principle; But the industries of Theosophy sect and the miracles of Spiritualism (which has been widely publicized in the western world here in a few years) have attracted a lot of attention to this people and now thousands and millions of people of Europe and America are also Christians in the hereafter. started believing.
Every child of our India believes and follows this principle. Not only this, this principle has become associated with every part of our life; We do not have any religious act, which is not directly or indirectly related to the hereafter, and we do not have any religious text, which does not directly or indirectly support the afterlife and reincarnation……….