प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए करें पांच योगासन-PRATIRODHAK CHHAMTA BADHANE KE LIYE KARE PAANCH YOGASAN

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योग प्रदर्शन करना एक कला है यह हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को मजबूत बनाते हैं।अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आपको अपनी सुबह की शुरुआत कुछ योगासन के साथ करनी चाहिए। इसके लिए प्रतिदिन आपको लगभग आधा घंटा का समय देना होगा।योग लोगों की रचनात्मकता के साथ-साथ शारीरिक उर्जा को बढ़ाने में भी सहयोग प्रदान करता है। योग से तनाव कम होता है मानसिक शांति मिलती है। योग से मन की एकाग्रता बढ़ती है। और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी योग से बेहतर होती है।

करोना वायरस के इस दौर में जब संक्रमण तेजी से फैल रहा है। और बीमार पड़ने की संभावना पहले से और अधिक हो गई है। खासकर ऐसे समय में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। हमारे आस पास बहुत से लोग होते हैं जो सामने आने पर खांसते और छींकते हैं। तो हमारे शरीर को रोग जनको से दूर होना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होना महत्वपूर्ण है।

 हमारे शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कुछ योग आसनों से होता है। एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं शरीर को बीमारी से उबरने में मदद करती हैं। लेकिन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करने में मदद नहीं करती। ऐसे समय  में योग सबसे प्रभावी और प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला साधन है। जिससे हम अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए अपना सकते हैं। योग एक प्राचीन कला है। जो शरीर को चुस्त दुरुस्त रखता है और मन को शांत करता है। इनसे बचाव हेतु आइए कुछ सरल योगासन के बारे में जानते हैं जो करोना वायरस से लड़ने के लिए आपको एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान करने में मददगार है।

अधोमुख श्वानासन

यह समस्त योगासनों में सबसे सरल योगासन है इसको मक्खन और ब्रेड का भी हसन कहा जाता है। अधोमुख स्वानासन साइनस संक्रमण को खत्म करने का एक बेहतर तरीका है। जो सर्दी के कारण होने वाले किसी भी दबाव से राहत दिलाता है। यह आसन आपके शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं को भी स्थानांतरित करता है। जो संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं।

सेतुबंध आसन

यह एक अद्भुत आसन है। जो हमारी छाती के साथ थाइमस को भी खोलता है। टी कोशिकाओं के विकास के लिए जिम्मेदार एक अंग जो प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करने और संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यक स्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन

यह आसन एक डिटॉक्स के पोज में जाना जाता है। जो स्पाईनाल ट्विस्ट को बारी-बारी से चेक करता है। और धड़ को स्ट्रेच करता है। जिससे पेट ,किडनी, आंतों में सरकुलेशन बढ़ता है जो पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। पाचन और सामान्य आंत एक स्वास्थ्य कार्य सील प्रतिरोधक प्रणाली के लिए आवश्यक है

 धनुरासन

अभी तक बताए गए अन्य आसन है जो पाचन को दुरुस्त कर व श्वेत रक्त कणिकाओं को बढ़ाने में मददगार है। यह आसन पेट पर दबाव डालता है जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। और पेट के अंगों में रक्त का प्रवाह बढ़ाकर स्वस्थ करता है। क्योंकि पाचन तंत्र लिंफोसाइट से भरा है। छोटी श्वेत रक्त कणिकाएं जो रोगों से लड़ती हैं, इसे मजबूत करने में अच्छा स्वास्थ्य वह प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता है।

भुजंगासन

भुजंगासन एक छाती खोलने वाली योग मुद्रा है जो शरीर में सुधार कर श्वेत रक्त कणिकाओं को बढ़ाने में सहायक है यह शक्तिशाली मुद्रा आपके पाचन अंगों को दुरुस्त करती है। जिससे आपको अपने भोजन से अधिक पोषण लाभ प्राप्त करने में मदद करती है। जिससे आपकी रक्षा प्रणाली मजबूत होती हैं।

प्राणायाम

प्राणायाम को स्वास प्रस्वास के नियंत्रण की तकनीकी के रूप में जाना जाता है। वायरल संक्रमण खराब प्रतिरोधक प्रणाली के सबसे गंभीर कारणों में से एक है। जब आप की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है तो शरीर का आंतरिक वातावरण असंतुलित हो जाता है। और वायरस शरीर पर हमला करना शुरू कर देते हैं। प्राणायाम से आपकी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिलता है। प्राणायाम के माध्यम से हम अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए खींचते और छोड़ते हैं। जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली  को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।हमारे शरीर में रक्त को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होती है जिससे हमारे शरीर में स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

कपालभाति प्राणायाम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने का सबसे बेहतर प्राणायाम है या हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है

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