Sambhog Se Samadhi Ki Orr By Osho In Hindi PDF Free Download || संभोग से समाधि की ओर ओशो द्वारा हिंदी में पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड
प्रेम, एक ऐसा लफ्ज जो हमारे चारों ओर अक्सर सुनाई देता है, लेकिन विडंबना देखिए कि लोगों के मनों में जितना इसे खोजने जाएंगे, उतनी ही निराशा हाथ लगेगी। ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है कि हमारे तथाकथित धर्म-गुरुओं और पथ-प्रदर्शकों ने उस चीज को पर्दे से बाहर ही नहीं आने दिया, जो प्रेम का प्राथमिक बिंदु है। हो सकता है, यह सुनकर ऐसे लोगों की भौंहें तन जाएं, लेकिन ओशो ने अपनी किताब ‘संभोग से समाधि की ओर’ के पहले भाग में बड़ी बेबाकी से इस तथ्य को स्थापित करने की कोशिश की है कि प्रेम का प्राथमिक बिंदु सेक्स ही है और जो लोग सेक्स को घृणा के नजरिए से देखते हैं, वे कभी प्रेम कर ही नहीं सकते। ओशो मानते हैं कि संभोग और समाधि के बीच एक सेतु है, एक यात्रा है, एक मार्ग है। समाधि जिसका अंतिम छोर है और संभोग उस सीढ़ी का पहला सोपान है, पहला पाया है।……………..
Love, a word that is often heard all around us, but ironically, the more people go to search for it, the more they will be disappointed. Why is it like this? This is because our so-called religious leaders and guides have not let that thing out of the screen, which is the primary point of love. Hearing this may raise eyebrows of such people, but Osho in the first part of his book ‘Sambhog Se Samadhi Ki Ori’ has tried to establish the fact that the primary point of love is sex and Those who look at sex with hatred, can never love. Osho believes that between intercourse and samadhi there is a bridge, a journey, a path. The one whose samadhi is the last end and intercourse is the first step of that ladder, is the first paya………………