श्री विष्णुअष्टोत्तर शतनामावलि | Shri Vishnu Ashtottara Shatnamavali | Vishnu 108 Name
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली को जो भी साधक नियमित रूप से पाठ करने से विद्या प्राप्ति, धन प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति और मोक्ष के लिए बहुत लाभदायक हैं | श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली आदि के बारे में बताने जा रहे हैं भगवान् विष्णु के इस 108 नामो द्वारा शालिग्राम या भगवान् विष्णु की प्रतिमा के ऊपर पिले पुष्पों से या सफ़ेद तिल चढाने से सभी पापो से मुक्ति मिलती है | और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है |
|| अथ श्रीविष्णु अष्टोत्तर शतनामावली ||
ॐ विष्णवे नमः |
ॐ लक्ष्मीपतये नमः |
ॐ कृष्णाय नमः |
ॐ वैकुण्ठाय नमः |
ॐ गरुड़ध्वजाय नमः |
ॐ परब्रह्मणे नमः |
ॐ जगन्नाथाय नमः |
ॐ वासुदेवाय नमः |
ॐ त्रिविक्रमाय नमः |
ॐ दैत्यान्तकाय नमः || १० ||
ॐ मधुरिपवे नमः |
ॐ तार्क्ष्यवाहनाय नमः |
ॐ सनातनाय नमः |
ॐ नारायणाय नमः |
ॐ पद्मनाभाय नमः |
ॐ हृषिकेशाय नमः |
ॐ सुधाप्रदाय नमः |
ॐ माधवाय नमः |
ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः |
ॐ स्थितिकर्त्रे नमः || २० ||
ॐ परात्पराय नमः |
ॐ वनमालिने नमः |
ॐ यज्ञरूपाय नमः |
ॐ चक्रपाणये नमः |
ॐ गदाधराय नमः |
ॐ उपेन्द्राय नमः |
ॐ केशवाय नमः |
ॐ हंसाय नमः |
ॐ समुद्रमथनाय नमः |
ॐ हरये नमः || ३० ||
ॐ गोविन्दाय नमः |
ॐ ब्रह्मजनकाय नमः |
ॐ कैटभासुरमर्दनाय नमः |
ॐ श्रीधराय नमः |
ॐ कामजनकाय नमः |
ॐ शेषजायिने नमः |
ॐ चतुर्भुजाय नमः |
ॐ पांचजन्यधराय नमः |
ॐ श्रीमते नमः |
ॐ शार्ङ्गपाणये नमः || ४० ||
ॐ जनार्दनाय नमः |
ॐ पीताम्बरधराय नमः |
ॐ देवाय नमः |
ॐ सूर्यचन्द्रविलोचनाय नमः |
ॐ मत्स्यरूपाय नमः |
ॐ कूर्मतनवे नमः |
ॐ क्रीडारुपाय नमः |
ॐ नृकेसरीणे नमः |
ॐ वामनाय नमः |
ॐ भार्गवाय नमः || ५० ||
ॐ रामाय नमः |
ॐ बलिने नमः |
ॐ कल्किने नमः |
ॐ हयाननाय नमः |
ॐ विश्वंभराय नमः |
ॐ शिशुमाराय नमः |
ॐ श्रीकराय नमः |
ॐ कपिलाय नमः |
ॐ ध्रुवाय नमः |
ॐ दत्तात्रेयाय नमः || ६० ||
ॐ अच्युताय नमः |
ॐ अनन्ताय नमः |
ॐ मुकुंदाय नमः |
ॐ दधिमानवाय नमः |
ॐ धन्वन्तरे नमः |
ॐ श्रीनिवासाय नमः |
ॐ प्रद्युम्नाय नमः |
ॐ पुरुषोत्तमाय नमः |
ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः |
ॐ मुरारातये नमः || ७० ||
ॐ अधोक्षजाय नमः |
ॐ ऋषभाय नमः |
ॐ मोहिनिरुपधारिणे नमः |
ॐ सङ्कर्षणाय नमः |
ॐ पृथवे नमः |
ॐ क्षीरब्धिशायिने नमः |
ॐ भूतात्मने नमः |
ॐ अनिरुद्धाय नमः |
ॐ भक्तवत्सलाय नमः |
ॐ नराय नमः || ८० ||
ॐ गजेंद्रवरदाय नमः |
ॐ त्रिधाम्ने नमः |
ॐ भूतभावनाय नमः |
ॐ श्वेतद्वीपसुवास्तव्याय नमः |
ॐ सनकादि मुनिध्येयाय नमः |
ॐ भगवते नमः |
ॐ शङ्कर प्रियाय नमः |
ॐ नीलकान्ताय नमः |
ॐ धराकान्ताय नमः |
ॐ वेदात्मने नमः || ९० ||
ॐ बादरायणाय नमः |
ॐ भागीरथीजन्मभूमिपादपद्माय नमः |
ॐ सतां प्रभवे नमः |
ॐ स्वभुवे नमः |
ॐ विभवे नमः |
ॐ घनश्यामाय नमः |
ॐ जगत्कारणाय नमः |
ॐ अव्ययाय नमः |
ॐ बुद्धवताराय नमः |
ॐ शान्तात्मने नमः || १०० ||
ॐ लीलमानुषविग्रहाय नमः |
ॐ दामोदराय नमः |
ॐ विराड्रूपाय नमः |
ॐ भूतभव्यभवत्प्रभवे नमः |
ॐ आदिदेवाय नमः |
ॐ देवदेवाय नमः |
ॐ प्रह्लादपरिपालकाय नमः |
ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः || १०८ ||
|| श्री विष्णुअष्टोत्तर शतनामावली सम्पूर्णं ||
I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.