10+ रामायण व महाभारत की समानताएं | Similarities of Ramayana and Mahabharata
आज हम जानेगे की रामायण व महाभारत में क्या-क्या समानताएँ है।
वैसे तो रामायण व महाभारत दोनों ही भारतीयों के धर्मग्रंथ हैं। रामायण आदि काव्य है व महाभारत एक इतिहास। इन दोनों ग्रंथों का अध्ययन करने पर कुछ समानताएं दिखाई देती है।
रामायण व महाभारत दोनों ही भारतीयों के जीवन, नैतिक विचारों और धार्मिक मान्यताओं को प्रभावित करते हैं।
अंतर यह है कि रामायण प्रधानरूप से अलंकृत काव्य है और महाभारत एक इतिहास ग्रंथ। दोनों का प्रारंभ राज्यसभा के दृश्य से होता है।
no | रामायण | महाभारत |
---|---|---|
1. | सीतास्वयंवर | द्रौपदी स्वयंवर |
2. | राम द्वारा धनुर्विद्या का प्रदर्शन | अर्जुन द्वारा धनुर्विद्या का प्रदर्शन |
3. | रावण द्वारा सीताहरण | जयद्रथ द्वारा द्रौपदी हरण |
4. | राम सीता का वनवास आदि | पाण्डवों द्रौपदी का वनवास आदि |
5. | राम लक्ष्मण भाइयों का प्रेम | पाण्डवों भाइयों का प्रेम |
6. | सीता का जन्म गर्भ से न होना | द्रौपदी का जन्म गर्भ से न होना |
7. | रामायण में युद्ध का कारण स्त्री (सीता) का अपमान / हरण | महाभारत में युद्ध का कारण स्त्री (द्रौपदी) का अपमान / हरण |
8. | रामायण में भगवान राम द्वारा राजषु यज्ञ कराया गया। | महाभारत में पांडवों द्वारा राजषु यज्ञ कराया गया |
9. | रामायण में भगवान परशुराम / जामवंत के उपस्थित का वर्णन। | महाभारत में भगवान परशुराम / जामवंत के उपस्थित का वर्णन |
10. | रामायण में भगवान विष्णु अवतार राम / परशुराम थे। | महाभारत में भगवान विष्णु अवतार कृष्ण / परशुराम थे। |
11. | राम का युद्ध के उपरांत राज्याभिषेक | युधिष्ठिर का युद्ध के उपरांत राज्याभिषेक |
सीता स्वयंवर एवं द्रौपदी स्वयंवर में राम व अर्जुन द्वारा धनुर्विद्या का प्रदर्शन करने में, रावण द्वारा सीताहरण व द्रौपदी का जयद्रथ द्वारा हरण होने में,
राम तथा पाण्डवों के वनवास में सीता व द्रौपदी के कारण महायुद्ध होने में, देवताओं द्वारा प्रदत्त दिव्यास्त्र प्राप्त करने में राम को सुग्रीव से तथा पाण्डवों की मत्स्यनरेश विराट से मित्रता होने में साम्य है।
रामायण में लक्ष्मण मरणासन्न रावण से तथा महाभारत में युधिष्ठिर शरशय्या पर लेटे हुए भीष्म से नीति विषयक उपदेश प्राप्त करते हैं। राम व युधिष्ठिर दोनों का ही युद्ध के उपरांत राज्याभिषेक होता है। दोनों ही अश्वमेध यज्ञ भी करते हैं।
दोनों ग्रंथों में सीता और द्रौपदी नामक नायिकाओं का जन्म भी अलौकिक प्रकार से हुआ है। सीता का पृथ्वी से और द्रौपदी का अग्निकुण्ड से।
दोनों ही ग्रंथ दुःखान्त हैं। दोनों में ही सत्य की असत्य पर विजय दिखाई गई है। कुछ समय तक चाहे असत्य का उत्कर्ष दिखाई पड़े परंतु अन्ततोगत्वा सत्य की ही विजय होती है।
दोनों ही काव्य अपने-अपने रचयिताओं के शिष्यों। द्वारा यज्ञ के शुभ अवसर पर सुनाए गए हैं।
रामायण व महाभारत में भाषा और शैली की समानताएँ
भाषा और शैली की दृष्टि से भी दोनों में साम्य है। दोनों ग्रंथों में अनुष्टुप् छंद का ही प्रयोग किया गया है। कुछ उपमाओं, लोकोक्तियों व श्लोकों के अर्थ भी एक समान हैं।
डॉ. हॉपकिन्स ने लगभग 300 ऐसे संदर्भ छटे हैं, जिनमें दोनों काव्यों में शब्दावली एक जैसी है, उदाहरणार्थ ‘नोत्कंठा कर्तुमर्हसि दोनों काव्यों में पाया जाता है।
दोनों काव्यों में चिरकाल तक आदान-प्रदान होता रहा है और समय के साथ-साथ इन दोनों काव्यों में परिवर्धन एवं परिशोधन होता रहा है।
वेदों की भांति प्राकृतिक शक्तियों की उपासना समाप्त हो गई थी। वरुण अश्विन्, आदित्य उषस आदि वैदिक देवताओं का अस्तित्व समाप्त हो गया था। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा, गणेश आदि की उपासना की जाती थी। मंदिरों का निर्माण किया जाता था।
रामायण और महाभारत काल में अंतर
रामायण द्वापर युग का है और महाभारत त्रेतायुग का है। नारायण ने रामायण में राम का अवतार लिया और महाभारत में कृष्ण का।
महाभारत अट्ठाईसवें द्वापर युग के अंत मे हुआ था और वर्तमान में अट्ठाईसवें कलियुग के 5000 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं तो महाभारत 5000 वर्ष पूर्व की है।
रामायण चौबेसवें त्रेता युग मे हुई थी तो रामायण आज से लगभग 1 करोड़ 83 लाख वर्ष पूर्व हुई थी । तो महाभारत और रामायन के काल में लगभग 1 करोड़ 83 लाख वर्षों का अंतर है।