Sugam Sanskrit Vyakaran: Anand Swaroop Shastri PDF Free Download || सुगम संस्कृत व्याकरण: आनंद स्वरूप शास्त्री पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड
प्राकथन
‘ अध्यापन काल में संस्कृत के उच्चश्रेणियों के छात्रों में भी व्याकरण-ज्ञान का अभाव देखकर अनेक बार मेरी इच्छा हुई कि संस्कृत-व्याकरण की कोई ऐसी पुस्तक लिखी जावे जो सरल तथा वैज्ञानिक ढंग से छात्रों को संस्कृतव्याकरण का अच्छा बोध करा सके, जिससे कि वे संस्कृत-भारती के मन्दिर में प्रवेश पाकर वहां की संचित ज्ञानराशि का कुछ उपभोग कर सकें। संस्कृत जैसी प्राचीन समृद्ध तथा व्यवस्थित भाषा को सीखने के लिए व्याकरण का ज्ञान अनिवार्य है। सौभाग्य से संस्कृत भाषा का व्याकरणशास्त्र अत्यन्त वैज्ञानिक तथा परिपूर्ण है, परन्तु प्राचीन परम्परा के अनुसार निर्मित सस्कृत व्या. करण के अन्य स्कूलों तथा कालेजों के छात्रों के लिए अत्यन्त दुबोध हैं, और अर्वाचीन ढंग से लिखे हुए व्याकरणग्रन्थों से संस्कृतव्याकरण का इतना अच्छा बोध होने नहीं पात।। प्रस्तुत पुस्तक (‘सुगम संस्कृतव्याकरण’ ) में प्राचीन तथा अर्वाचीन दोनों प्रकार की प्रणालियों का समन्वय है। इसमें संस्कृत व्याकरण की सभी श्रावश्यक बातों का विवेचन यथासाध्य सरल तथा वैज्ञानिक ढंग से किया गया है।
यह पुस्तक स्कूलों तथा कालेजों के छात्रों की. श्रावश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है। उत्तरप्रदेशीय माध्यमिक शिक्षाबोर्ड द्वारा पूर्वमाध्यमिक (High School ) तथा उत्तरमाध्यमिक ( Intermediate) परी. क्षाओं के लिए निर्धारित संकृत व्याकरण के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का इस पुस्तक में सन्निवेश है, उसके अतिरिक्त संस्कृत व्याकरण का शेष श्रावश्यक तथा उपयोगी विषय भी दिया गया हैं। उपयुक्त पाठ्यक्रम द्वारा निर्धारित सम्पूर्ण शब्दरूप तथा धातुरूप तो इस पुस्तक में दिये ही गये हैं, उनके अतिरिक्त कुछ अन्य आवश्यक शब्दों तथा धातुओं के रूपों का भी सनिवेश कर दिया गया है। इस प्रकार यह पुस्तक हाईस्कूल कक्षाओं से लेकर यूनिवर्सिटी की ऊंची श्रेणीयों तक के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। ___उपर्युक्त पाठ्यक्रम से अतिरिक्त शब्दों तथा धातु प्रों पर ® ऐसा चिह्न दिया गया है, तथा केवल इंटरमीडियेट-छात्रों के लिए निर्धारित शब्दों
Foreword
In the teaching period, seeing the lack of grammar-knowledge among the students of Sanskrit upper-class, many times I wished that a book of Sanskrit-grammar should be written which could make students understand Sanskritization well in a simple and scientific manner, so that they By entering Sanskrit-Bharati temple, we can consume some of the accumulated knowledge there. Knowledge of grammar is essential for learning an ancient, rich, and systematic language like Sanskrit. Fortunately, the grammatology of the Sanskrit language is very scientific and complete, but the Sanskrit vyas formed according to the ancient tradition. Karan is extremely observant of the students of other schools and colleges, and the grammar texts written in ancient times do not have such a good sense of Sanskrit grammar. The presented book (‘Sugam Sanskritization’) contains a combination of both ancient and Archaic systems. In this, all the essentials of Sanskrit grammar have been discussed in an as simple and scientific manner as possible.
This book is about the students of schools and colleges. It has been written keeping in mind the requirements. High School and Intermediate examinations by Uttar Pradesh Secondary Education Board. The entire syllabus for Sanskrit grammar is embedded in this book, in addition to this, the rest of Sanskrit grammar is also given the necessary and useful topics. The complete word form and metallics as prescribed by the appropriate syllabus have been given in this book, in addition to this, some other necessary words and forms of metals have also been invested. Thus, this book will prove useful from high school classes to higher grades at the university. ___ From the above syllabus, additional words and metal marks ® have been given such a mark, and only words prescribed for intermediate students.