धीमी कितनी गति है? विकास – रामधारी सिंह दिनकर
धीमी कितनी गति है? विकास कितना अदृश्य हो चलता है? इस महावृक्ष में एक पत्र सदियों के बाद निकलता है।...
धीमी कितनी गति है? विकास कितना अदृश्य हो चलता है? इस महावृक्ष में एक पत्र सदियों के बाद निकलता है।...
परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो उसमें बहुत कुछ है जो जीवित है जीवन दायक है जैसे भी हो...
परशुराम की प्रतीक्षा (शक्ति और कर्तव्य) वीरता जहां पर नहीं‚ पुण्य का क्षय है‚ वीरता जहां पर नहीं‚ स्वार्थ की...
इसमे क्या आश्चर्य? प्रीति जब प्रथम–प्रथम जगती है‚ दुर्लभ स्वप्न–समान रम्य नारी नर को लगती है। कितनी गौरवमयी घड़ी वह...
हो गया पूर्ण अज्ञातवास, पांडव लौटे वन से सहास, पावक में कनक सदृश तप कर, वीरत्व लिये कुछ और प्रखर।...
मैं हुआ धनुर्धर जब नामी, सब लोग हुए हित के कामीऌ पर, ऐसा भी था एक समय, जब यह समाज...
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा, पर नर-व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ, कब हारा? क्षमाशील हो रिपु-समक्ष तुम...
पक्षी और बादल ये भगवान के डाकिये हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं। हम तो समझ...
परशुराम की प्रतीक्षा (शक्ति और कर्तव्य) वीरता जहां पर नहीं‚ पुण्य का क्षय है‚ वीरता जहां पर नहीं‚ स्वार्थ की...
हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला सन...
पक्षी और बादल ये भगवान के डाकिये हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं। हम तो समझ...