Geeta Gyan

धर्मशास्त्र पञ्चकम् -Dharma Sastha Panchakam

पादारविन्दभक्तलोकपालनैकलोलुपं सदारपार्श्वमात्मजादिमोदकं सुराधिपम् । उदारमादिनाथभूतनाथमद्भुतात्मवैभवं सदा रवीन्दुकुण्डलं नमामि भाग्यसम्भवम् ॥ १ ॥ कृपाकटाक्षवीक्षणं विभूतिवेत्रभूषणं सुपावनं सनातनादिसत्यधर्मपोषणम् । अपारशक्तियुक्तमात्मलक्षणं सुलक्षणं प्रभामनोहरं...

श्रीमद्भगवद्गीता सातवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Satavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता सातवाँ अध्याय की संज्ञा ज्ञानविज्ञान योग है। ये प्राचीन भारतीय दर्शन की दो परिभाषाएँ हैं। उनमें भी विज्ञान शब्द...

श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Aathavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता आठवाँ अध्याय की संज्ञा अक्षर ब्रह्मयोग है। उपनिषदों में अक्षर विद्या का विस्तार हुआ। गीता में उस अक्षरविद्या का...

श्रीमद्भगवद्गीता नवम अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Navam Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता नवम अध्याय को राजविद्याराजगुह्ययोग कहा गया है, अर्थात् यह अध्यात्म विद्या विद्याराज्ञी है और यह गुह्य ज्ञान सबमें श्रेष्ठ...

श्रीमद्भगवद्गीता ग्यारहवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Gyarahavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता ग्यारहवाँ अध्याय का नाम विश्वरूपदर्शन योग है। इसमें अर्जुन ने भगवान का विश्वरूप देखा। विराट रूप का अर्थ है...

श्रीमद्भगवद्गीता तेरहवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Terahavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता तेरहवाँ अध्याय नाम क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग है। इस अध्याय में एक सीधा विषय क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का विचार है। यह शरीर...

श्रीमद्भगवद्गीता चौदहवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Choudahavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता चौदहवाँ अध्याय का नाम गुणत्रय विभाग योग है। यह विषय समस्त वैदिक, दार्शनिक और पौराणिक तत्वचिंतन का निचोड़ है-सत्व,...

श्रीमद्भगवद्गीता पन्द्रहवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Pandrahavan Adhyay

श्रीमद्भगवद्गीता पन्द्रहवाँ अध्याय का नाम पुरुषोत्तमयोग है। इसमें विश्व का अश्वत्थ के रूप में वर्णन किया गया है। यह अश्वत्थ...