श्रीमद्भगवद्गीता सोलहवाँ अध्याय || Shri Mad Bhagavat Gita Solahavan Adhyay
श्रीमद्भगवद्गीता सोलहवाँ अध्याय में देवासुर संपत्ति का विभाग बताया गया है। आरंभ से ही ऋग्देव में सृष्टि की कल्पना दैवी...
श्रीमद्भगवद्गीता सोलहवाँ अध्याय में देवासुर संपत्ति का विभाग बताया गया है। आरंभ से ही ऋग्देव में सृष्टि की कल्पना दैवी...
श्रीमद्भगवद्गीता अठ्ठारहवाँ अध्याय की संज्ञा मोक्षसंन्यास योग है। इसमें गीता के समस्त उपदेशों का सार एवं उपसंहार है। यहाँ पुन:...
श्रीमद्भगवद्गीता प्रथमअध्याय का नाम अर्जुनविषादयोग है। वह गीता के उपदेश का विलक्षण नाटकीय रंगमंच प्रस्तुत करता है जिसमें श्रोता और...
श्रीमद्भगवद्गीता द्वितीय अध्याय का नाम सांख्ययोग है। इसमें जीवन की दो प्राचीन संमानित परंपराओं का तर्कों द्वारा वर्णन आया है।...
सांख्य की व्याख्या का उत्तर सुनकर कर्मयोग नामक श्रीमद्भगवद्गीता तृतीय अध्याय में अर्जुन ने इस विषय में और गहरा उतरने...
श्रीमद्भगद्गीता चतुर्थ अध्याय में, जिसका नाम ज्ञान-कर्म-संन्यास-योग है, यह बाताया गया है कि ज्ञान प्राप्त करके कर्म करते हुए भी...