वीर सावरकर बौद्धिक विषय आरएसएस Veer Sawarkar Biography, Baudhik RSS
वीर सावरकर का संछेप जीवन परिचय
- महाराष्ट्र के नासिक में भयूर नामक एक ग्राम में दामोदर सावरकर एवं राधाबाई के यहां 28 मई सन 1883 में वीर सावरकर का जन्म हुआ।
- बचपन में माता-पिता – महाभारत , रामायण , शिवाजी , महाराणा प्रताप के विषय में बताते रहते थे।
- यह तीन भाई थे।
- मित्रमेला नाम की संस्था बचपन में ही बनाई गई थी।
- इसके द्वारा क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करते थे।
- कक्षा 10 उत्तीर्ण करने के बाद कविताएं लिखने लगे। तिलक जी से परिचय हो गया।
- सन 1950 में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर उनकी होली जलाइ।
- स्नातक के बाद सशस्त्र क्रांति के लिए अभिनव भारत नाम की संस्था बनाई।
- 6 जून 1996 को कानून की पढ़ाई के लिए लंदन को प्रस्थान किया। वहां इंडिया सोसाइटी बना दी। ब्रिटिश लाइब्रेरी में खूब अध्ययन करते रहते थे। मेजिनी का जीवन चरित्र और सिखों का स्फूर्तिदायक इतिहास ग्रंथ लिखा।
- 1908 में मराठी में ” 1857 का स्वतंत्र समर ” लिखा। पुस्तक जप्त कर ली गई थी।
- सावरकर की प्रेरणा से मदन लाल ढींगरा ने कर्जन वायली की हत्या कर दी।
- सन 1990 बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर को जेल भेज दिया। सावरकर बंधुओं की संपूर्ण संपत्ति जप्त कर ली गई।
- कुछ दिन बाद छोटे भाई नारायण दामोदर सावरकर जी को पकड़ लिया गया।
- इंग्लैंड से पेरिस गए उन्हें लंदन पेरिस गए। पुनः लंदन वापस लौटे। 13 मार्च 1910 को पकड़े गए। भाभी के लिए ” मृत्यु पत्र “ नाम से मराठी काव्य लिखा।
- सावरकर जलयान द्वारा भारत लाते समय फ्रांस के निकट जहाज आते ही शौचालय के छेद से समुद्र में कूद पड़े , और तैरकर फ्रांस की भूमि पर पहुंचे। पर फिर पकड़े गए।
- मुंबई की विशेष अदालत में 3 मुकदमे चलाकर दो आजन्म कारावास की सजा दी गई।
- डोंगरी मायखला ठाणे जेल भेजा गया।
- नारायण सावरकर भी ठाणे जेल में थे। अंत में अंडमान जेल भेजा गया। जेलों में रस्सी कूटने व कोल्हू लाने का काम कराया जाता था।
- इसी जेल में बड़े भाई भी थे , डोंगरी जेल में गुरु गोविंद सिंह पर कविताएं रच कर कंठस्थ कर लेते थे।
- माइक्रा जेल में नुकीले पत्थर से दीवाल पर लिखकर याद की।
- अंडमान जेल में 10000 पंक्तियां कविता के रूप में लिखा , कमला , गोमांतक , विरहोचवास , काव्य लिखे।
- 10 वर्ष बाद 1921 में अंडमान से लाकर रत्नागिरी नगर में नजर बंद कर दिया।
- यहां हिंदुत्व , हिंदू पदपादशाही उः शाप उत्तरक्रिया आदि ग्रंथ लिखे।
- हिंदू सभा की स्थापना कर शुद्धि का बिगुल बजाया। यही हिंदी भाषा का प्रचार शुरू किया।
- 10 मई 1935 को यहां से मुक्त हुए महात्मा गांधी जी की हत्या होने पर बंदी बना लिया गया। फरवरी 1946 को ससम्मान मुक्त हो गए।
- 26 फरवरी 1966 को पूर्वाहन 11:00 बजे सावरकर संसार से विदा ले गए।