राजा दशरथ को मिले श्राप का सकारात्मक फल क्या था ? What was the positive result of the curse received by King Dasaratha?
श्रवण कुमार के पिता द्वारा जब मिला राजा दशरथ को श्राप
श्रवण कुमार अपने अंधे माता –पिता के साथ एक कुटिया में रहते थे जो अपना तप– ध्यान और संसार की सारी सुख –सुविधाओं को छोड़कर दिन रात केवल माता पिता की ही सेवा में लगे रहे थे…चित्रा नाम की एक युवती श्रवण कुमार से प्रेम करती थी मगर वो श्रवण कुमार को हमेशा अपने माता पिता की सेवा में लगा देख कुढती रहती है..
एक दिन चित्रा के यक्ष पिता कन्दर्व को पुत्री की उदासी का कारण पता चल जाता है…यक्ष कन्दर्व अपनी माया का खेल रचता है और श्रवण कुमार के माता पिता को गाँव वालों के सामने ही एक विकराल अजगर बनकर निगल लेता है और वहां से चला जाता है..उधर जंगल में अजगर बना यक्ष अपनी बेटी चित्रा से कहता है कि बेटी अब श्रवण कुमार को जैसे ही ज्ञात होगा कि उसके माता पिता नहीं रहें तो वो कुछ दिनों के बाद अकेला हो जाएगा और फिर उसे तुम्हारी आवश्यकता पड़ेगी लेकिन तब तक मुझे अगजर बनकर ही रहना पड़ेगा…
उधर यक्ष की बेटी चित्रा अब जब भी श्रवण कुमार की कुटिया में जाती है उसे श्रवण कुमार कुटिया में नहीं मिलता…और इधर यक्ष बने अगजर के साथ एक विचित्र घटना घटती है ..अब हर रोज़ श्रवण कुमार आकर उस अगजर की देह पर तेल की मालिश करता हुआ पूँछ के ऊपर के भाग को दबाकर उसकी सेवा करता है..अगजर बने यक्ष को ये बात समझ नहीं आती की श्रवण कुमार ऐसा क्यूँ कर रहा है…?
एक दिन अचानक अगजर बने यक्ष का शरीर तपने लगता है और उसके भीतर गर्मी बढ़ने लगती है फिर उसकी देह में आग लग जाती है ..वो परेशान हो जाता है….वो मरने मरने को होता है तभी नारद आकर कहते हैं यक्ष अब भी तुम्हे लगता है कि श्रवण कुमार को उसकी मातृ और पितृ भक्ति से डिगाया जा सकता है..? तुमने उसके माता पिता को निगल लिया मगर वो तब भी तुम्हारे भीतर समा चुके माता पिता की उसी प्रकार से उनकी सेवा करता आ रहा था जैसा वो पहले करता था…यक्ष को अपनी भूल का आभास होता है और वो श्रवण कुमार को उसके माँ बाप लौटा देता है ….
इस घटना के पश्चात श्रवण कुमार अपने माता –पिता को लेकर तीर्थाटन पर निकलता है…मार्ग में जंगल पड़ने पर जब माता पिता को प्यास लगती है तो श्रवण कुमार जल लाने एक नदी किनारे चले जाते हैं…तभी उसी वन में आखेट करने आये अयोध्या के राजा दसरथ जो शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण थे श्रवण कुमार के घट भरने की ध्वनि को एक हिरन समझ उनपर अपना बाण चला देते हैं जिससे श्रवण कुमार की मृत्यु हो जाती है
जब श्रवण कुमार के माता पिता को ये बात पता चलती है तो श्रवण के पिता राजा दसराज को पुत्र से अलग होकर उनकी ही तरह हमेशा तड़पने रहने का श्राप दे देते हैं…और फिर इसी श्राप के परिणाम स्वरुप कालान्तर में राम को १४ वर्ष का वनवास मिलता है और रावण सीता का हरण करता है….मगर इसी श्राप के कारण ही फिर हनुमान की भेंट अपने प्रभु राम से होती है और धरती के बहुत सारे असुरों का वध होता है जिसमे रावण, कुम्भकर्ण सबसे बड़े असुर थे…..
इस तरह राजा दशरथ को मिले श्राप का सम्बन्ध उस बढ़ते हुए अधर्म को पराजित करना था जो श्री राम जी के द्वारा संपन्न हुआ….