अपनी पढ़ाई के लिए पंचर दुकान पर काम करते थे,कड़ी मेहनत से बन गए IAS अधिकारी:वरुण बरनवाल

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परीक्षा में उत्तीर्ण हुए छात्रों ने इस कामयाबी तक पहुंचने के लिए जी तोड़ मेहनत की है। अपनी जिंदगी में बहुत से संघर्षों का सामना कर यह मुकाम हासिल किया है। कामयाबी के लिए अपने पथ पर अचल और अडिग रहने की ज़रूरत है। अगर आप रास्ते में आने वाले मुश्किलों से हार मान गए तो असफलता हाथ लगेेगी। आज की हमारी यह कहानी महारास्ट्र के “वरुण बरनवाल” की है जिन्होंने साइकिल रिपेयरिंग का काम करके IAS की उपाधि हासिल की है।

IAS वरुण बरनवाल

आईएएस (IAS) वरुण बरनवाल (Varun baranwal) का जन्म महारास्ट्र (Maharastra) के पालघर में हुआ। वरुण साल 2013 में UPSC की परीक्षा में 26वां रैंक हासिल कर गुजरात (Gujrat) में “डिप्टी कलेक्टर” के रूप में नियुक्त हुए। इन्हें अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष करने के बाद कामयाबी हासिल हुई।

पिता साइकिल रेपयेरिंग का काम करते थे

वरुण (Varun) के घर की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी जिसके कारण इनका बचपन बहुत ही कठिनाईयों से व्यतित हुआ। इनके पिता साइकिल रिपेयरिंग का कार्य कर घर की ज़रूरतें पूरी करते थें। कुछ वर्षों बाद इनके पिता का देहांत हो गया जिससे घर की पूरी जिम्मेदारी वरुण (Varun) के उपर आ गई।

वरुण की स्कूलिंग

वरुण पढ़ने में तेज़ – तरार थे और हमेशा क्लास में अव्वल अंक प्राप्त करते थे। वरुण जब 10वीं की परीक्षा दिए उस समय इनके पिता का साया इनके ऊपर से हट गया। जिससे इन्हें अपनी जिंदगी में बहुत बड़ा झटका लगा। पिता की मौत के बाद इन्होंने उनके कार्य को अपनाया और घर खर्चा चलाने लगे।

10वीं के रिजल्ट के बाद बढ़ा हौसला

कुछ महीनों बाद जब दसवीं का रिजल्ट घोषित हुआ उसमें वरुण ने टॉप किया था। रिजल्ट आने के बाद इनका हौसला अपने बुलंदी पर पहुंच गया और इन्होंने IAS बनने का मन बना लिया लेकिन इस समय सबसे बड़ी समस्या थी- पढ़ाई की तैयारी के लिए पैसे का इंतजाम करना।

डॉक्टर ने की मदद

वरुण (Varun) के पिता की जब तबीयत खराब थी, उस समय वह जिस डॉक्टर से अपने पिता का इलाज करा रहे थे वह डॉक्टर मदद के लिए आगे आये। डॉक्टर ने वरुण की फीस, फॉर्म, किताबों के साथ पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। वरुण ने अपनी पढ़ाई के लिए साइकिल रिपेयरिंग का काम करने के साथ-साथ ट्यूशन पढ़ाना भी शुरू किया।

शिक्षक नें की फीस माफ़

कुछ समय पढ़ने के बाद वरुण ने अपने स्कूल के प्रिंसिपल से अपनी फीस माफ करने की बात कही। इनके घर की आर्थिक स्थिति देखकर प्रिंसिपल ने 2 साल की स्कूल की फीस माफ़ कर दी। इसके बाद की पढ़ाई ट्यूशन फीस और स्कॉलरशिप की मदद से पूरी हुई। इन्होंने बिना कोचिंग के IAS की परीक्षा में 26वीं रैंक हासिल कर यह साबित किया कि किसी भी सपने को पूरा करने के लिए मेहनत बहुत ज़रूरी है। वरूण देश के सभी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। वरुण के द्वारा किए गए लगन और परिश्रम को सलाम करता है।

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