पिता ऑटो चलाते थे फिर भी विषम हालातों से लड़कर बने सेना में अफसर , किया पिता के सपनों को पूरा:प्रेरणा

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जिसके अन्दर कुछ कर गुजरने का संकल्प हो और वह उसके लिए तन्मयता से प्रयासरत हो तो उसके सामने विषम परिस्थितियाँ भी बौनी साबित हो जाती हैं ! धवन सार्थक शशिकांत एक ऐसे हीं योद्घा हैं जिन्होंने गरीबी और लाचारी सरीखी बाधाओं से लड़कर व उसे पारकर आर्मी में अफसर बन गए हैं ! आईए जाने उनके बारे में….

शुरू से हीं संघर्षरत रहा जीवन

धवन सार्थक एक अति मध्यम परिवार से ताल्लुक रखते हैं ! वे महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रहते हैं ! वहीं उनके पिता शशिकांत एक ऑटो चालक हैं ! जो ऑटो चलाकर रोजाना छोटी-मोटी कमाई करते हैं ! धवन सार्थक पढाई के प्रति सजग रहने व मेहनत करने वाले विद्यार्थी थे ! अपने परिवार की अल्प और सीमित आमदनी के बावजूद सार्थक ने पढाई जारी रखा ! उन्होंने कोल्हापुर के सेंट जेवियर हाई स्कूल से पढाई की तथा इसके बाद वे आगे की पढाई सर्विसेज प्रिपैरेटरी स्कूल , औरंगाबाद से की ! आज से चार वर्ष पूर्व उनकी माँ एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में चल बसी थीं ! खुद पर से माँ का साया उठने के बाद सार्थक बहुत दुखित हुए ! अनायास उत्पन्न इस दुखद परिस्थिति को झेलते हुए भी धवन ने अपनी पढाई पर ध्यान केन्द्रित रखा !

एनडीए में चयन

गरीब होने के बावजूद सार्थक के पिता ने सार्थक की पढाई में कोई कसर नहीं छोड़ी ! उन्हें हर चीज मुहैया करवाई जिससे पढाई की जा सकती है ! अपने पिता के इन कर्तव्यों को धवन सार्थक ने दिल से लगाया और जी तोड़ मेहनत की ! उनका चयन एनडीए में हो गया ! एनडीए चयन के समय उनके परिवार में खुशियों का माहौल था ! सभी लोग धवन सार्थक की इस सफलता का जश्न मना रहे थे , उस पर गर्व कर रहे थे !

अफसर बन किया पिता के सपनों को पूरा

धवन सार्थक के पिता के ऑटो चालक हैं , अल्प और सीमित आमदनी के बावजूद उन्होंने अपने बेटे को पढाई करवाने में कोई भी कमी नहीं होने दी ! उनका सपना था कि मेरा बेटा पढ-लिखकर बड़ा आदमी बने , नाम रोशन करे ! एनडीए में चयन के पश्चात 423 कैडेट्स में पास आउट होने के साथ हीं धवन सार्थक एक सेना अधिकारी बन गए हैं ! वे सेना में अफसर बनकर अपने पिता के सपनों को हकीकत कर उनकी खुशियों को नया आयाम प्रदान किया है !

“मेरी मेहनत के पीछे मेरे परिवार की मेहनत और उनका संघर्ष हमेशा मुझे प्रेरित करती है ! आज मैं एक अधिकारी के रूप में चयनित होकर उनसभी की उम्मीदों पर खरा उतरा हूँ ! जरूरी नहीं कि हम राजा के घर में पैदा होकर राजा बनें लेकिन हमें जिंदगी में योद्धा अच्छा होना चाहिए” !

आज मेरी माँ जीवित नहीं है , अगर आज वो होतीं तो मुझे इन कपड़ों में देख वे बहुत खुश होती ! मेरे पिता ने कड़ी जद्दोजहज करके ना हो सिर्फ परिवार को पाला है बल्कि मेरी पढाई भी करवाई है ! पैसों की भारी तंगी रहने के बावजूद उन्होंने मुझे कभी इसका अहसास नहीं होने दिया और मेरे लिए हर संभव साधन उपलब्ध करवाए !

धवन सार्थक शशिकांत ने विषम परिस्थितियों से जूझते हुए जो सफलता की इबारत लिखी है वह अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है ! धवन सार्थक की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें बहुत बहुत बधाईयां देता है !

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