सूरत की इन दो लड़कियों ने अंतरिक्ष में एस्टरॉयड का खोज किया , नासा ने भी सराहा

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आज की कहानी लिखते वक्त जब मैंने अपनी दादी को बताया, आज मैं उन दो लड़कियों की कहानी लिख रही हूं जिन्होंने एस्टेरॉयड की खोज की है। दादी आश्चर्य से पर अटकते हुए बोली, “एस्टेरॉयड.. ये क्या होता है??? उसके पिता का कोई कीमती सामान था क्या जो उन दोनों ने ढूंढ़ निकाला।” मैं हंसते हुए बोली, “अरे नहीं दादी। एस्टेरॉयड छोटे आकार के ग्रह होते हैं जो सौर मंडल के आंतरिक हिस्सों में पाए जाते हैं।” दादी पूछी, “हमारे ज़माने में नहीं होते थे क्या ये एस्टेरॉयड?” मैंने बोला, “होते थे दादी.. उस वक़्त लड़कियों को एस्टेरॉयड के बारे में पढ़ने और ढूंढ़ने का अधिकार नहीं दिया जाता था।” जी यह बदला हुआ भारत है और आज की हमारी कहानी बदले हुए भारत के दो बेटियों की कहानी है।

14 वर्षीय वैदेही वेकारिया और राधिका लखानी ने अंतरिक्ष में एक ऐस्टरॉइड की खोज की है। इन दोनों की स्कूली शिक्षा सूरत के ‘पीपी सावनी चैतन्य विद्या संकुल’ से पूरी हुई। पढ़ाई के दौरान इन्हें खगोलशास्त्र मे काफी रुची थी। इन दोनों की ख़्वाहिश थी कि ये अंतरिक्ष में रिसर्च करें। इन्होंने जब ऑल इंडिया ऐस्टरॉइड सर्च कैम्पेन में हिस्सा लिया, उस दौरान काफी अध्यन कर वैदेही और राधिका ने ऐस्टरॉइड की खोज की। नासा के वैज्ञानिकों ने इस ऐस्टरॉइड को HLV2514 नाम दिया।

वैदेही और राधिका ने ‘SPACE इंस्टिट्यूट’ से ऐस्ट्रॉनामिकल स्टडी की ट्रेनिंग ली थी। इंस्टीट्यूट को IASC के निर्देशक डॉक्टर पैट्रिक मिलर ने ई-मेल के जरिये बधाई देते हुए कहा, “HLV2514 ऐस्टरॉइड अभी मंगल ग्रह के पास पहुंच गया है और जल्द ही यह पृथ्वी को क्रॉस करेगा।”

रिसर्च के लिए 20 ऑब्जेक्ट्स को चुना था

वैदेही अपने परिवार के साथ भावनगर जिले में रहती हैं और राधिका अमरेली जिले में। स्टडी के दौरान इन दोनों ने स्पेस में लगभग 20 ऑब्जेक्ट्स को रिसर्च के लिए चुना था। 20 ऑब्जेक्ट्स में से एक ऑब्जेक्ट लकी निकला और इनका रिसर्च सफल हुआ। वैदेही और राधिका ने इस ऑब्जेक्ट का नाम ‘रैंडम’ रखा था। NASA ने इस खोज की पुष्टि कर उसे HLV2514 ऐस्टरॉइड नाम दिया।

4 साल बाद की गई एस्टेरॉयड की खोज

आकाश द्विवेदी जो ‘SPACE इंस्टिट्यूट’ के एजुकेटर के हैं उन्होंने ने बताया कि 4 साल तक किसी ने भी ऐस्टरॉइड की खोज करने के बारे में कोई चर्चा नहीं किया था। HLV2514 ऐस्टरॉइड की खोज देश में 4 साल बाद हुई है और गुजरात की ये पहली खोज है, जो देश की बेटियों ने की है। Covid-19 के कारण हर जगह लॉकडाउन है। इस वजह से इनदोनों ने घर पर रहकर ही अपने कार्य को सफल बनाया हैं।

देश की दो बेटियों ने जो कार्य किया वो सभी छात्रों के लिए एक प्रेरणा है। इसके लिए वैदेही और राधिका के कार्य की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनायें देता है।

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