हाथियों के प्रति असंवेदना को देखकर केरल की यह लड़की हाथियों की सुरक्षा के लिए लड़ रही है

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मुझे देखकर बहुत तकलीफ हुआ कि बहुत सारे हाथी अंधे थे कुछ के शरीर पर घाव थे और उन में से खून निकल रहा था।

3 साल की उम्र में संगीता अय्यर जब मंदिर में जाती थी तो उनका ध्यान हाथी की तरह हमेशा रहता था जिससे मंदिर के कोने में बांध के रखा जाता था। केरला के पलक्कड़ में संगीता ने अपना बचपन बिताया जहां उन्हें प्रकृति से प्रेम करने की सीख मिले।

बचपन से ही संगीता को हाथियों से बहुत लगाव था और उनके दादाजी अक्सर उन्हें हाथियों के झुंड में छोड़कर चले जाते थे यहां तक कि उन्हें हाथियों की उपस्थिति से किसी भी बात का डर नहीं था। संगीता के जहन में एक सवाल हमेशा बना रहता था कि आखिर इनके पैर में जंजीर क्यों बांधी जाती है। इस भाव ने संगीता को हाथियों पर काम करने के लिए विवश कर दिया।

संगीता अभी कैलिफ़ोर्निया में फिल्म बनाती हैं और साथ ही हाथियों के संरक्षण के लिए उन्होंने वॉइस ऑफ एशियन एलिफेंट्स सोसाइटी का गठन किया जो भारत के लिए काम करता है।

2013 में संगीता ने केरल के वायनाड में एक हाथी को बुरी स्थिति में देखा जो एक गड्ढे में फस चुकी था ,यह देख कर संगीता को बहुत तकलीफ हुई, हालांकि उन्हें यह देख कर बहुत खुशी हुई कि कुछ लोग उस बेजुबान जानवर को बचाने की कोशिश में लगे थे ।

2013 की शुरुआत में ऐसी बहुत घटनाएं मेरे साथ हुई जिससे मुझे सदमा लगा। कुछ हाथियों को मैंने देखा जिनके शरीर पर घाव था और पैरों से खून टपक रहे थे इनमें कुछ अंधी हाथिया भी थीं जिन्हें जंजीरों में बांधा गया था।
इन सारी कठिनाइयों के बावजूद हाथियों को तपती धूप में परेड में शामिल किया जा रहा था । ना ही उनके लिए खाने का सही प्रबन्ध था और ना ही रहने के लिए उचित स्थान।

उस समय संगीता, कैनेडा से बायोलॉजी से ग्रेजुएशन कर रही थी और साथ ही जर्नलिज्म के लिए काम कर रही थी। केरल आते समय उनके पास उनका कैमरा था जिसकी मदद से उन्होंने इस सारे दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर रखा था।

हालांकि संगीता का फिल्म बनाने का कोई प्लान नहीं था फिर भी उन्होंने इस इस फिल्म को शूट किया और इसका नाम God in Shackles रखा। इस मूवी में जंगली जानवरों के प्रति होने वाले अत्याचार को दिखाया गया था । 2016 में इस मूवी को यूनाइटेड नेशंस असेंबली में भी दिखाया गया जिसको लोगों ने काफी सराहा और इन्हें दर्जनों अवार्ड भी मिले।

2017 की शुरुआत में संगीता ने एक पेटिशन फाइल किया जिसमें हाथियों के सुरक्षा के बारे में बात की गई हालांकि हाथियों को एक दुर्लभ प्रजाति मानते हुए उनके प्रोटेक्शन की बात पहले से ही की गई है ।

इस तरह संगीता के द्वारा शुरू की गई मुहिम अभी जारी है और संगीता अपने दोस्तों के साथ मिलकर हाथियों की सुरक्षा में लगी है।

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