आंख में पेंसिल लगने से बचपन में ही रौशनी चली गई, हार नही मानी और अपने अथक प्रयास से कलक्टर बन गई: Pranjil Patil
यदि एक सामान्य व्यक्ति और एक नेत्रहीन व्यक्ति की कल्पना की जाए तो सामान्य की तुलना में नेत्रहीन को हम शून्य महसूस करेंगे। कोई जन्म से ही दिव्यांग होता है, तो कोई किसी दुर्घटना के कारण दिव्यांगता का शिकार हो जाता है। बात सामान्य और नेत्रहीन की की जाए तो सामान्य व्यक्ति के लिए पूरी दुनिया रंगीन होती है, वहीं ज्यादातर नेत्रहीन के लिए पूरे संसार में हीं घनघोर अंधेरा रहता है। लेकिन नेत्रहीन व्यक्ति में भी प्रतिभा रहती है, हर वो मुकाम हासिल करने की जो एक सामान्य व्यक्ति में होती है। आज हम आपको एक ऐसी लड़की से रूबरू कराएंगे जो नेत्रहीन होते हुए भी UPSC की परीक्षा पास कर बन गई देश की पहली नेत्रहीन महिला IAS ऑफिसर।
प्रांजल पाटिल जन्म से नहीं थी नेत्रहीन
प्रांजल पाटिल (Pranjal Patil) महाराष्ट्र (Maharashtra) के उल्हानपुर की रहने वाली हैं। प्रांजल जन्म से ही अंधी नहीं थी। जब वह मात्र 6 साल की थी और कक्षा 1 में पढ़ रही थी, तब कक्षा में पढ़ रहे एक साथी ने उनके एक आंख में पेंसिल मार दी। उम्र कम होने के कारण प्रांजल के आंख का सही से विकास नहीं हुआ था जिससे उनके आंख में इंफेक्शन जल्दी से फैल गया और उन्हें अपने आंखों की रोशनी खोनी पड़ी। पेंसिल एक आंख में ही लगी थी लेकिन इंफेक्शन दोनों आंखों में फैल गया। डॉक्टर ने एक आंख बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन ऐसा हुआ नहीं। धीरे-धीरे उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई। जब तक प्रांजल इस रंगीन दुनिया को देख पाती उससे पहले ही वह एक अंधी लड़की बन गई थीं।
प्रांजल पाटिल (Pranjal Patil) एक नेत्रहीन लड़की है जो यूपीएससी (UPSC) जैसे कठिन परीक्षा पास कर बन गई हैं, आईएएस (IAS) ऑफिसर। प्रांजल अपने आंखों की रोशनी खोने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। वह ख़ुद को कभी सामान्य व्यक्ति से कम नहीं समझी। इसी हौसले के कारण आज वह इस मुकाम हो हासिल कर पाई है। प्रांजल अपनी पूरी पढ़ाई ब्रेल और ऑडियो मेटेरियल के जरीये ही की है। जिसमें उनके परिवार वालों का भी पूरा सहयोग मिला।
प्रांजल पाटिल (Pranjal Patil) की शिक्षा
प्रांजल की पूरी पढ़ाई ब्रेल और ऑडियो मेटेरियल के जरिए हुई, उन्हें वह सब पढ़ने को मिला जो एक सामान्य विद्यार्थी को मिलता है। प्रांजल ने10वीं पास कर, चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स में 12वीं की। जिसमें प्रांजल ने 85 फीसदी अंक प्राप्त किए। आगे वह मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन की। ग्रेजुएशन के दौरान ही उन्हें भारतीय सिविल सेवा के बारें में पता चला तब प्रांजल यूपीएससी की परीक्षा से संबंधित जानकारी प्राप्त की और परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। साथ ही एम.ए करने के लिए जेएनयू का एंट्रेस भी दिया वह भी क्लियर हो गया। जेएनयू से उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एम.ए किया। उसके बाद 2016 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी UPSC की परीक्षा पास कर 773वीं रैंक प्राप्त किया।
रैंक के मुताबिक उन्हें भारतीय रेलवे खाता सेवा में नौकरी प्रस्ताव भी मिला लेकिन नेत्रहीन होने के कारण नौकरी नहीं मिली। उसके लिए उन्होंने आगे कानून का सहारा लिया, उससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। ऐसी परिस्थिति का सामना करने के बाद भी वह निराश तो हुई लेकिन हर नहीं मानी और दुबारा प्रयास में लग गई।
अगले साल ही वह पुनः यूपीएससी की परीक्षा दी और 124वीं रैंक प्राप्त की जो सबके लिए एक बड़ा तमाचा था। उन्हें प्रशिक्षण अवधि के दौरान एर्नाकुलम सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया था। जिसके बाद अब उन्हें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में सब-कलेक्टर के रूप में कार्यभार दिया गया। आज वह देश की पहली नेत्रहीन महिला आइएएस अधिकारी है।
जिस प्रकार प्रांजल पाटिल ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपनी सफलता का परचम लहराया है, वह वाकई में प्रेरणादायक है। प्रांजल पाटिल के ज्ज्बे को नमन करता है।