दोनों हाथ नही हैं तो स्कूल ने एडमिशन नही लिया, अपने पैरों से करती हैं खूबसूरत पेन्टिंग और पहचान बना लिया

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इंसान अगर ठान ले तो क्या कुछ नहीं हो सकता है। उसे दुनिया की कोई शक्ति रोक नहीं सकती है। इंसान असम्भव को भी सम्भव बना सकता है। बस उसके मन में कुछ करने के लिए दृढ इच्छा शक्ति, संकल्प और शक्ति होनी चाहिए। इंसान अपने दृढ़ संकल्प शक्ति से सब कुछ कर सकता है। जो सच में कुछ करना चाहते हैं, उनको उस काम को करने से कभी भी कोई भी नहीं रोक सकता है। ऐसी ही एक कहानी है ऐसे इंसान की जिन्होंने अपने दृढ़ इच्छा-शक्ति से असंभव को सम्भव किया हैं। आइये जानते हैं कि वह कौन है जिन्होने असंभव को सम्भव बनाया है।

मिलिए प्रिंसी गोगोई से

प्रिंसी गोगोई (Princy Gogoi) असम में सोनारी (Sonaaree) की रहनेवाली हैं। इनकी उम्र 21 साल हैं। यह 12 वीं तक पढ़ी हैं। प्रिंसी के दोनों हाथ नहीं है इसके बावजूद भी उन्होनें अपने इस दिव्यांग होने की कमजोरी का खुद को महसूस नहीं होने दिया।

सरकारी विद्यालय में नहीं दिया गया नामांकन

प्रिंसी (Princy) को सरकारी स्कूल में पांचवीं कक्षा में नामांकन नहीं मिला था क्यूँकि उनके दोनो हाथ नहीं हैं। एक शिक्षक ने प्रिंसी (Princy) की मां से कहा था की वे एक ‘मानसिक रोगी’ बच्चे का नामांकन नहीं कर सकते। लेकिन कहा जाता है न कि एक रास्ता बन्द होता है तो इश्वर कोई दुसरा रास्ता खोल देता है। प्रिंसी (Princy) के साथ भी ऐसा ही हुआ। गांव के ही एक आदमी की मदद से एक प्राइवेट स्कूल में प्रिंसी को दाखिला मिल गया और वहां से उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई की।

पैरों से ही करती हैं सारा काम

प्रिंसी (Princy) अपना सारा काम पैरों से ही करती हैं। उदहारण के लिए लिखना, ब्रश करना, पेंटिंग बनाना यह सब वह पैरों से ही करती हैं। प्रिंसी को सिंगिंग, स्पोर्ट्स में रुचि है। इनकी बनाई हूई पेंटिंग हाल ही में 30 हज़ार रुपये में बिकी है। प्रिंसी गोगोई (Princy Gogoi) का सपना है कि वह दिव्यांग बच्चों के लिए एक आर्ट स्कूल खोले। वर्तमान में प्रिंसी गोगोई (Princy Gogoi) एक प्राइवेट हॉस्पिटल में फ्रंट डेस्क एक्जिक्युटिव की नौकरी करती हैं।

ऐसी दृढ़ संकल्पशक्ति और अदम्य साहस को सादर नमन करता है।

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