8 KM पैदल चलकर जाती थीं बच्चों को पढाने, अब UPSC निकाल कर IAS अधिकारी बन गईं

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बच्चों के पढ़ाई की शुरुआत उनके घर-परिवार के सदस्यों से होती है। फिर आंगनबाड़ी.. आंगनबाड़ी के बाद प्राइमरी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। उसके बाद मिडिल स्कूल और हाई स्कूल। प्राइमरी स्कूल में 1 से 5 तक की कक्षा होती है और सही तरीके से यहीं तक बच्चों को पढ़ाया जाता है। यहां पढ़ाने वाले शिक्षक बच्चों को जितनी शिक्षा ग्रहण करानी होती है, अपने अनुसार कराते हैं। कोई शिक्षक मेहनत कर बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान करता है कि आगे चलकर बच्चों को ज्यादा परेशानियां नहीं होती है और वह आसानी से किसी भी विषय वस्तु को समझ लेते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं। जैसा कि हम सभी बखूबी जानते हैं कि महिलाएं भी हर क्षेत्र में कार्यरत है। एक शिक्षक के रुप में भी वे पूरी निष्ठा से कार्य करती हैं। जितनी शिक्षा ख़ुद प्राप्त की है उससे ज़्यादा अपने छात्रों को देने की कोशिश करती हैं। आज की यह कहानी ऐसी महिला की है जो प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका रह चुकी है। स्कूल जाने के लिए इन्हें 8 की.मी. की दूरी तय करनी पड़ती थी। फिर भी अपनी लगन और मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा कर सभी के लिए उदाहरण बनी है।

सीरत फातिमा

प्राथमिक विद्यालय (Primary School) की शिक्षिका सीरत फातिमा (Sirat Fatima) ने अपनी मेहनत से यूपीएससी की तैयारी कर उसमें सफलता हासिल की है। यह बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देती थी। वर्ष 2017 में इन्होंने यूपीएससी (UPSC) परीक्षा में 810वीं रैंक हासिल की है। इस परीक्षा में लगभग 990 उम्मीदवार मौजूद थे। एक शिक्षिका होने के बावजूद भी इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि अगर जुनून हो तो हम किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।

पिता के सपने को किया पूरा

सीरत के पिता का नाम अब्दुल गनी सिद्दीकी है जो इलाहाबाद के मेजा तहसील में लेखपाल के रूप में कार्यरत हैं और मां हाउसवाइफ हैं। इनकी सबसे बड़ी पुत्री सीरत हैं। सब सीरत से बहुत प्यार करते हैं। जब यह 4 वर्ष की थी तब इनके पिता ने कहा कि मेरी बेटी सीरत IAS बनेगी। जब यह बड़ी हुईं तो एक प्राथमिक विद्यालय में इनकी नौकरी लगीं। इन्होंने अपने पढ़ाई जारी रखी। जब 2017 में UPSC का परिणाम निकला तो इनके पिता के खुशी का ठिकाना नहीं था।

करना पड़ा कठिनाइयों का सामना

अब्दुल अपनी बेटी को पढ़ाना चाहते थे लेकिन पैसे की परेशानी थी। फिर भी इन्होंने अपनी बेटी का दाखिला सेंट मैरी प्रायवेट स्कूल में कराया ताकि सीरत पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी रहें। अगर IAS बनना है तो पहले पढ़ाई की नींव मजबूत रहे इसलिए ऐसा किया गया। सीरत भी पढ़ने में काफी तेज तर्रार थी।

शुरू किया प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाना

अपनी 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई सपन्न कर सीरत ने ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central Univercity) में अपना दाखिला कराया। सीरत ने यही से अपनी B.Sc. की पढ़ाई पूरी कर B.Ed. की डीग्री भी हासिल करी। उसके बाद घर खर्च चलाने के लिए प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने लगीं। वह जानती थी कि उनके पिता के सैलेरी से इनकी दैनिक ज़रुरतों को पूरा करना कठिन था।

सीरत जिस स्कूल में पढ़ाने जाती थी, वह 38 km दूरी पर था। इस दूरी को तय करने के लिए उन्हें बस का सहारा लेना पड़ता था। वह 30 km की दूरी बस से तय करती और बाकी 8 km यात्रा उन्हें पैदल तय करनी पड़ती थी। देखा जाए तो रोज सीरत को पैदल 16 km चलना पड़ता था। जब सीरत ट्रेनिंग कर रही थीं तो उनका मन UPSC परीक्षा में भाग लेने का हुआ।

3 बार हुई हैं UPSC परीक्षा में असफल

जब सीरत स्कूल में पढ़ाने जाती तो उन्हें यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का बहुत कम समय मिलता था। बचे समय में वह घर पर ही परीक्षा की तैयारी करती। शायद कम समय दे पाती थी पढ़ाई में। इसलिए वह 3 बार यूपीएससी की परीक्षा में असफल रहीं। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और इस कार्य में लगी रही। 3 बार असफल होने की वजह से उनकी मानसिक स्थिति थोड़ी बिगड़ चुकी थी। वह दबाव महसूस कर रही थी। कुछ दिनों बाद घरवालों ने उन्हें शादी की बात कही लेकिन सीरत यूपीएससी की तैयारी करना चाहती थी। घरवालों के बार-बार कहने से सीरत ने शादी के लिए हां बोल दिया और उन्हें शादी करनी पड़ी।

माउन्टेन-द मांझी फ़िल्म से हुई प्रेरित

जैसा कि हम सभी जानते हैं शादी के बाद सब की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है। उसी तरह सीरत की भी जिम्मेदारियां बढ़ गई और उन्हें नौकरी भी करनी थी। जिस कारण उन्हें यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का समय नहीं मिल पा रहा था। वह हार मान चुकी थी। उन्होंने सोचा कि मैं इस परीक्षा से हार मान लूं क्या। इसी दौरान वह एक मूवी देख रही थी जिसका नाम माउंटेन-द मांझी था। इस मूवी को देख वह प्रेरित हुई और उन्होंने इससे प्रेरणा लेकर जो कार्य किया वह हर किसी के सामने है। शादी के 3 माह के बाद शुरू की IAS की तैयारी।

ज्यादा लिखती थी

वर्ष 2016 में सीरत 6 अंक के कारण असफल हुई थी फिर इन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा दी और उसमें सफलता हासिल की। इसमें सफलता हासिल करने के बाद वह UPSC के मेंस की तैयारी में जोर-शोर से लगीं। वह घर पर अधिक लिखती थी और सूक्ष्म नोट्स बनाया करती थी जिसे वह रास्ते मे पढ़ती थी। उनकी मेहनत रंग लाई और इस बार उन्होंने परीक्षा दी उसमे सफल हो गईं। इनकी सफलता की ख़ुशी सबसे ज्यादा इनके पिता को हुई उन्हें ऐसा लगा जैसे सीरत नहीं वह IAS बनें हैं।

वह लड़की जो रोज 38 km की दूरी तय कर बच्चों को पढ़ाने जाती थी उसने यह सबको दिखा दिया कि अगर मन में कोई तमन्ना हो तो बस उसमे लगे रहो। हार मत मानो। वह एक-न-एक दिन तुम्हें ज़रूर प्राप्त होगा। सीरत को शुभकामनाएं देते हुए सलाम करता है।

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