अगत्स्य सहिंता – हिंदी || Agastay Sahinta In Hinid Book PDF Download

0

भारतीय परम्परा में वैदिक पद्धति यज्ञ प्रधान है, जिसमें देवताओं के निमित्त अग्नि में आहुति देकर उन देवों की उपासना होती है। इन यज्ञों का पूजन अतिथि पूजा विवरण हमें ब्राह्मण-ग्रन्थों एवं श्रीत सूत्रों में मिलता है। परवर्ती काल में की एक दूसरी परम्परा आरम्भ हुई, जिसमें देवताओं की पूजा की शैली में होने लगी। यह उपासना की आगम पद्धति कहलायी।

‘बौधायन गृह्यसूत्र’ में दुर्गापूजन, नवग्रहपूजन आदि की जो पद्धति है, वह आगम की पद्धति है, जिसमें आवाहन, पाद्य, अर्ध्य, पुष्पाञ्जलि आदि विधियाँ हैं। ‘महाभारत’ में भी इस पद्धति का उल्लेख उपलब्ध होता है, अतः इस आगम पद्धति को कम से कम ईशा पूर्व द्वितीय शताब्दी तक प्राचीन माना जा सकता है।

प्राचीन काल में इस आगम-पद्धति की पाँच शाखाओं का उल्लेख विभिन्न ग्रन्थों में मिलता है। ये शाखायें थीं- सौर, गाणपत्य, शैव, शाक्त एवं पाञ्चरात्र इनमें पाञ्चरात्र पद्धति वैष्णव उपासना पद्धति है, जिसके विकास में दक्षिण के आलवार वैष्णव सन्तों का पर्याप्त योगदान रहा है।

In the Indian tradition, the Vedic system is the yajna, in which those gods are worshiped by offering sacrifices in the fire for the gods. The details of the worship of these Yagyas are found in the Brahmin scriptures and the Srit Sutras. Another tradition started in the later period, in which the deities were worshiped in the style. This was called the Agama method of worship. The method of Durga Puja, Navagraha Puja etc. in the ‘Baudhayana Grihyasutra’ is the method of Agama, in which there are methods like Avahana, Padya, Ardhya, Pushpanjali etc. The mention of this method is also available in ‘Mahabharata’, so this Agama system can be considered ancient at least till the second century BCE………….

 

हिंदी में पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड / Hindi PDF Free Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *