भगवत गीता अध्याय 1 से 18 तक – Bhagavad Gita Chapters 1 to 18

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महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। आज से (सन 2023) लगभग 4500 वर्ष (2175 ई.पू.) पहले गीता का ज्ञान बोला गया था। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है। इसका तात्पर्य यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या। इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है।

महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है।

गीता के 18 अध्यायों के नाम | Geeta ke 18 Adhyay ke Naam

1 भगवत गीता अध्याय 1 अर्जुन का विषाद योग
2 भगवत गीता अध्याय 2 सांख्य योग (ज्ञानयोग)
3 भगवत गीता अध्याय 3 कर्मयोग
4 भगवत गीता अध्याय 4 ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
5 भगवत गीता अध्याय 5 कर्मसंन्यासयोग
6 भगवत गीता अध्याय 6 आत्मसंयम योग
7 भगवत गीता अध्याय 7 ज्ञान विज्ञान योग
8 भगवत गीता अध्याय 8 अक्षरब्रह्म योग
9 भगवत गीता अध्याय 9 राजविद्याराजगुह्ययोग
10 भगवत गीता अध्याय 10 विभूतियोग
11 भगवत गीता अध्याय 11 विश्वरूपदर्शन
12 भगवत गीता अध्याय 12 भक्तियोग
13 भगवत गीता अध्याय 13 क्षेत्रक्षत्रविभागयोग
14 भगवत गीता अध्याय 14 गुणत्रयविभागयोग
15 भगवत गीता अध्याय 15 पुरूषोत्तमयोग
16 भगवत गीता अध्याय 16 दैवासुरसंपद्विभागयोग
17 भगवत गीता अध्याय 17 श्रद्धात्रयविभागयोग
18 भगवत गीता अध्याय 18 मोक्षसंन्यासयोग

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