यक्षिणी ( Yakshini) कितने प्रकार की होती है और उससे कैसे करें धन की प्राप्ति ? How many types of Yakshini are there and how to get money from her?

यक्षिणी कौन है?

यक्षिणी कौन है? और इनका सम्बन्ध धन से कैसे जुडा है यह प्रश्न कई बार पाठक के मन में आता होगा. आपने यक्षों के बारे में अवश्य ही सुना होगा.  पुराणों के अनुसार ब्रह्मा ने अपने  मानस पुत्रों में कई ऋषियों की उत्पत्ति कि जिसके बाद मैथुनी सृष्टि का आरंभ हुआ. दक्ष की कई  पुत्रियों के पति बने कश्यप ऋषि और उन्ही से देव , दानव, नाग , किन्नर , गन्धर्व और यक्ष- यक्षिणी की उत्पत्ति हुई.

यक्षिणी को आप एक अप्सरा या परी की तरह समझ सकते हैं किन्तु वो कुछ अधिक ही दिव्य होती है. धन के देवता कुबेर यक्षों के अधिपति हैं इस नाते यक्षिणी उनकी पत्नियां हैं जो यक्ष के धन की रक्षा  करती है और उनका देखभाल करती है. अब मन में सवाल आता होगा कि धन कि देवी तो लक्ष्मी है फिर यक्ष या यक्षिणी इसके मालिक कैसे हुए.?  किन्तु ये सच है, धन के देवता यक्ष को ही बनाया गया है. एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ने भी कभी यक्ष से धन उधार लिए थे. हालांकि पुराणों में ये भी जिक्र है कि देवी लक्ष्मी के वरदान से ही धन की प्राप्ति होती है और यक्ष को धन संभालने की जिम्मेदारी दी गयी है. धन का सम्बन्ध यक्ष से होने के कारण इसका सम्बन्ध स्वत: ही यक्षिणी से हो जाता है . यक्ष ने कुछ अधिकार यक्षिणी को भी दे रखे हैं कि वो अपने साधक और भक्त को धन प्रदान करे.

यक्षिणी के बारे में कुछ और भी बातें प्रचलित हैं….

यक्षिणी हिंदू पौराणिक कथाओं और तंत्र शास्त्र में एक प्रकार की राक्षसी शक्ति का वर्णन होता है। यक्षिणी एक दुर्जेय शक्ति होती है जो लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकती है और उन्हें परेशान कर सकती है।

यक्षिणी को पौराणिक कथाओं में अक्सर वनों और पहाड़ों में पाया जाता है, जहां वह अकेले रहती है और मनुष्यों को चुनती है जिन्हें वह परेशान करेगी। पौराणिक काल में इनमें से कुछ यक्षिणियों को लोग अपने आशीर्वाद और रक्षा के लिए पूजते थे जबकि दूसरी उनके शत्रु थे।

यक्षिणी एक शक्तिशाली और विद्वेषपूर्ण शक्ति होती है जो कई प्रकार से व्यक्ति को परेशान कर सकती है। उनमें से कुछ यक्षिणियां मनुष्यों की शारीरिक शक्ति को नष्ट करती हैं, जबकि दूसरी उनके मन और विचारों पर प्रभाव डालती हैं।

यक्षिणी को दूर करने के लिए कुछ तंत्रों और मंत्रों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ मंत्र अधिक प्रभावी होते हैं जब वे विशेष तरीके से उच्चारण किए

पुराणों के अनुसार कुछ प्रमुख यक्षिणी इस प्रकार हैं.

1.विचित्रा ,

2.विभ्रमा

3.हंसी

4.भिक्षिनी

5.जनरंजिका

6.विशाला

7.मदना

8.घंटा

9.काल कर्णिका

10.महामाया

11.माहेन्द्री

12.शंखिनी

13.चान्द्री

14.श्मशानी

15.वटयक्षिणी

16.मेखला

17.विकला

18.लक्ष्मी

19.कामिनी

20.शतपत्रिका

21.सुलोचना

22.सुभोना

23.कपाली

24.विलासिनी

25.नटी

26.कामेश्वरी

27.स्वर्णरेखा

28.सुरसुंदरी

29.मनोहरा

30.प्रमोदा

31.रागिनी

32.नखकेशिका

33.नेमिनी

34.पद्मिनी

35.स्वर्णविती

36.रतिप्रिया

यक्षिणी साधना में आह्वाहन, विसर्जन , मुद्रा , गंध पुष्प अर्पण मुद्रा, तथा सबसे प्रमुख क्रोध मुद्रा ये सभी मुद्राएँ अलग- अलग हैं. इनका पालन करते ही साधना करनी चाहिए.

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