इस जैन धरम में जिनागम और संतो का समागम
इस जैन धरम में जिनागम,
और संतो का समागम,
हमें पल-पल पल-पल,
धर्म की याद दिलावे है,
हम भटके ना जीवन मे,
मार्ग दिखावे है,
इस जैंन धरम में जिनागम,
और संतो का समागम।।
तर्ज – तेरी आख्या का यो।
जैन धर्म में ही तो,
तत्व ज्ञान मिलता है,
कैसे रुके है हिंसा,
वो विज्ञान मिलता है,
तू जैन धर्म में आया,
शुभ कर्मों से ये पाया,
हमें पल-पल पल-पल,
धर्म की याद दिलावे है,
हम भटके ना जीवन मे,
मार्ग दिखावे है,
इस जैंन धरम में जिनागम,
और संतो का समागम।।
लेकर के मुनि दीक्षा,
जो संत बनते है,
वे ही तो आने वाले,
अरिहंत बनते है,
लेके जैनेश्वरी दीक्षा,
हमे देते धर्म की शिक्षा,
हमें पल-पल पल-पल,
धर्म की याद दिलावे है,
हम भटके ना जीवन मे,
मार्ग दिखावे है,
इस जैंन धरम में जिनागम,
और संतो का समागम।।
इस जैन धरम में जिनागम,
और संतो का समागम,
हमें पल-पल पल-पल,
धर्म की याद दिलावे है,
हम भटके ना जीवन मे,
मार्ग दिखावे है,
इस जैंन धरम में जिनागम,
और संतो का समागम।।