Kanya Sankranti 2023: तिथि, पूजा विधि, कन्या संक्रांति का महत्व, कन्या संक्रांति पर स्नान दान का महत्व
सूरज जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सूरज प्रत्येक राशि में प्रवेश करता है। इसलिए 12 संक्रांति होती है। कन्या संक्रांति भी इनमें से एक मानी जाती है। जब सूरज सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है तो उसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। कन्या संक्रांति सूर्य भगवान के लिए प्रतिबंध होती है। सूर्य का महत्व वैदिक लेखों, विशेष रुप से गायत्री मंत्र जो हिंदू धर्म का एक पवित्र गीत है , में पाया जाता है।
इसके अतिरिक्त उत्तरायण काल कहे जाने वाले हिंदुओं के लिए 6 महीने के अनुकूल अवधी की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है; इसे गहन प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
पर्व | कन्या संक्रांति 2023 |
तिथि | 17 सितंबर, 2023 |
दिन | रविवार |
कन्या संक्रांति का मुहूर्त (kanya Sankranti 2022 muhurat)
कन्या संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 7 बजकर 36 मिनट से दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. महा पुण्यकाल का मुहूर्त 17 सितंबर, सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
कन्या संक्रांति का महत्व (Kanya Sankranti Importance)
हर संक्रांति का अपना अलग महत्व माना जाता है। इसी प्रकार कन्या संक्रांति का भी अपना विशेष महत्व है। कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा जी की उपासना की जाती है।
कन्या संक्रांति पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में विशेष रूप से मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है। संक्रांति के दिन जरूरतमंद लोगों की सहायता की जाती है। सूर्य देव बुध प्रधान कन्या राशि में जाते हैं।
इस तरह कन्या राशि में बुध और सूर्य का मिलन होता है। इसे बुधादित्य योग का निर्माण कहा जाता है।
कन्या संक्रांति के दिन स्नान दान का महत्व
कन्या संक्रांति के दिन एक और विशेष अनुष्ठान यह माना जाता है कि इस दिन व्यक्ति को आत्मा और शरीर से सभी तरह के पापों को दूर करने के लिए पवित्र जल में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में स्नान करने का सहयोग ना बन पा रहा है तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर उसे पवित्र करके स्नान किया जा सकता है।
संक्रांति के दिन कई प्रकार के दान पुण्य भी किए जाते हैं। इसमें से पितरों के लिए किए जाने वाला अनुष्ठान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन खास तौर पर पितरों के लिए श्रद्धा पूजा और तपस्या पूरे विधि विधान के साथ की जाती है।
कन्या संक्रांति पितर पक्ष अंतिम तिथि मानी जाती है; इसलिए पित्र देवता के लिए धूप ध्यान, पिंड दान, तर्पण, श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। दोपहर के समय गाय के गोबर कंडा जलाया जाता है और उस पर गुड, देसी घी डालकर धूप दी जाती है।
कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा का महत्व
कन्या संक्रांति के दिन Vishwakarma puja का काफी महत्व है। कन्या संक्रांति के दिन बंगाल और उड़ीसा के औद्योगिक शहरों में विश्वकर्मा पूजा का विशेष तौर पर एक महत्व माना जाता है क्योंकि इस दिन विश्वकर्मा भगवान का जन्मदिन होता है। भगवान विश्वकर्मा को निर्माता माना जाता है।
भगवान विश्वकर्मा भक्तों को उत्कृष्टता और उच्च गुणवत्ता के साथ काम करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह दिन मुख्य रूप से सभी प्रकार के उद्योगों, दुकान, स्कूल और कॉलेजो में मनाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा को छोटे और बड़े कारीगर द्वारा आगामी वर्ष में बेहतर प्रगति के लिए कार्यशाला में आयोजित किया जाता है।
इस दिन में भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए कार्यालय और कारखानों में मूर्ति स्थापित की जाती है। बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात सहित भारत के सभी हिस्सों में विश्वकर्मा मंदिर को अच्छे से सजाया जाता है और विधि पूर्वक पूजा की जाती है। कन्या संक्रांति का दिन बहुत ही हर्ष उल्लास और खुशी के साथ मनाया जाता है।
कन्या संक्रांति की पूजा विधि (Kanya Sankranti Puja Vidhi)
- कन्या संक्रांति के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठा जाता है।
- सुबह जल्दी उठने के बाद नहाने के पानी में तिल डाल कर स्नान किया जाता है।
- इस दिन पवित्र नदी में जाकर स्नान किया जाता है और पुण्य फल की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। कहते हैं कि पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- कन्या संक्रांति के दिन व्रत रखा जाता है। व्रत रखने का संकल्प लेकर श्रद्धा के अनुसार दान किया जाता है।
- एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ मिलाकर सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है।
- सूर्य को जल चढ़ाते हुए ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप किया जाता है।
- सूर्य देव को जल चढाने के बाद दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से बांटे जाते हैं।
कन्या संक्रांति के लाभ (Benefits of Kanya Sankranti)
- अपने संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है।
- मजदूरों और कारीगरों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा जरूर करनी चाहिए; ऐसा करने से सारा साल उनके कामों में बरकत बनी रहती है।
- इंजीनियर, यंत्र चलाने वाले, इंजन चलाने वाले, यंत्र बनाने वाले, मरम्मत करने वाले देव गुरु विश्वकर्मा जी को माना जाता है। इसलिए इन क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को विश्वकर्मा भगवान की पूजा प्रेम भाव से करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति काम में प्रगति और मनचाही सफलता है प्राप्त कर सकते हैं।
- इस दिन मशीनों की पूजा करने के बाद उन्हें फूलों से सजाया जाता है। धूप दीप दिखाकर देसी घी का दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि इससे मशीनें सुचारू रूप से काम करती हैं और सारा साल मशीनें रिपेयर करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- पूजा के बाद विश्वकर्मा भगवान को फूलों और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से विश्वकर्मा भगवान प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को अपने काम में तरक्की मिलती है।
कन्या संक्रांति का शुभ अशुभ प्रभाव
कन्या संक्रांति के कारण कुछ व्यक्तियों को व्यवसाय में बहुत लाभ प्राप्त होता है। इन्हीं दिनों में व्यापारियों को उन्नति और लाभ के अवसर प्राप्त होते हैं; लेकिन लापरवाही और असावधानी से इस दिन बचना भी होता है क्योंकि चोर और असामाजिक तत्व इस दिन अधिक सक्रिय रहते हैं।